copy fruit of untimely death

असमय मृत्यु का प्रति फल – पुनर्जन्म का रहस्य | Copy fruit of untimely death – punarjanm ka rahasya

 

संसार परिवर्तन शील है यह एक ब्रह्म सत्य है जन्म मृत्यु के चक्र में प्राणी घूमता रहता है. तरह तरह की व्याख्याएं परिभाषित है, प्राणी जीवन के वृत्त चित्र की.धर्म भी अलग अलग मान्यताएं प्रदान करते हैं. उस एकाकार नियंता की निर्माण कार्यदायिनी में निर्माण, उत्पादन, विपणन और निष्पादन सभी कुछ अबाध गति से चलता रहता है बिना कुछ समय बिताये और बाधित हुए. धर्म ग्रंथो की गणना, परिकल्पना को मैं नकार तो नहीं सकता, क्योंकि उनकी भी कुछ अपनी सार्वभौमिकता तो अवश्य होगी. उसकी इस निर्माण कार्यदायिनी में जन्म पूर्व ही मृत्यु का दिनांक भी अंकित हो जाता है.
असमय मृत्यु वाले प्राणी को तो यमराज के कार्यालय में प्रवेश भी वर्जित होता है. उसके असमय आने का कारण तथा उसके जीवन की पूरी पड़ताल कर दी जाती है और तुरंत ही उसे वापस भेज दिया जाता है , किन्तु इन सब बातों से बेखबर हम लोग मृतक शरीर को, अपनी मान्यताओं के अनकूल, अधिक देर न रख कर, दाह संस्कार कर देते हैं , लौटते हुए क्षणिक विलम्ब या हमारी अति शीघ्रता उस आत्मा को संवाहक विहीन कर देती है , और उसे अधोगति प्राप्त होती है.
कई बार मृत्यु को प्राप्त व्यक्ति को पुनः जीवित होते हुए भी सुना गया ऐसा तभी हो पाता है जब असमय मृत्यु आत्मा के लौटने तक संवाहक शरीर का दाह संस्कार नहीं हुआ होता है और आत्मा पुनः उसी शरीर में संचारित हो जाती है. अभी कुछ दिन पूर्व ब्लॉग में आत्मा और पुनर्जन्म के बारे में बहस हो रही थी संयोगवश आज मुझे अपने एक सहयोगी से ऐसी ही जानकारी प्राप्त हुई. जिसमे आत्मा का पुनः संचार भी हुआ, और पुर्जन्म भी. सत्यता तो प्रभु ही जाने.
किसी सन्दर्भ में वे बताने लगे मेरी दादी को, जब उनके पिताजी, हाथो में मालिश कर रहे थे तो दादी की मृत्यु हो गयी बात सायंकालीन थी , इसलिए दाह संस्कार प्रातः ही संभव था, दादी की आयु १०५ वर्ष थी, किन्तु कुछ समय बाद उनमें पुनः जीवन का संचार हो गया. होश में आने पर दादी ने जो अनुभव सुनाया और उसका प्रतिफल प्रत्यक्ष दर्शनीय था वे बताती है कि उन्हें असमय आने पर गर्म चिमटों से मारा गया और तत्पश्चात देखने पर उनके शरीर में घाव स्पष्ट नजर आने लगे, किन्तु तीन दिन बाद उनकी पुनः मृत्यु हो गयी.
इसी तरह वे एक किस्सा और सुनाते है कि उन्ही की रिश्तेदारी में एक व्यक्ति की खेत जोतते समय दुर्घटना वश अकारण असमय मृत्यु हो गयी. दिन का वक्त था तो दाह संस्कार समय पर कर दिया गया. परन्तु इन्हें लौटा दिया गया था यमराज के दरबार से. इन्ही दिनों पास के ही गाँव में एक बालक का जन्म हुआ जब यह बालक चार वर्ष का था तो उसने सारा वृतांत सुनाया और अपने मूल गाँव आया. वहां पर उसने उसी तरह बात की जैसे पहले से करता था. मेंरा सस्कार करने में आप लोगों ने जल्दी क्यों की ? ऐसे ही कई लोगों से उन्हें रूपये वापस लेने थे तो उस बालक के बताने पर सभी रुपयों की वसूली हो सकी. इस प्रकार कई सारी प्रमाणिकता देते हुए व अब वहीँ पर अपने पूर्व लोगो के साथ ही रह रहा है.
उसे जब यमराज के पास ले जाया गया तो बताता है कि उन्होंने असमय आने के कारण वापस भेज दिया था किन्तु दाह संस्कार हो जाने के कारण संवाहक न मिल पाने के कारण उसे वापस लेकर गए , यमराज ने उसे दूत के साथ विष्णु के पास भेजा परन्तु विष्णु ने निदान के लिए पुनः ब्रह्मा जी के पास भेजा. चूँकि उसकी आयु लगभग १५ वर्ष शेष थी इसलिए नए संवाहक को जन्म देकर उसे वापस भेज दिया. इस तरह पुर्जन्म ही नहीं बल्कि वह तो पुरानी आयु को ही भोगने के लिए भी जन्मित हुआ.
इस तरह मनुष्य व् प्राणी सभी अपने कृत्य, अकृत्य एवं कुकृत्य का प्रत्यक्ष फल प्राप्त करता है इस व्यक्ति को तो तीन देवताओं के साकार दर्शन हुए , वहां सभी का लेखा जोखा पलभर में प्रस्तुत हो जाता है यह एक सत्य है

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