भारतीय वैदिक ज्योतिषशास्त्र या ज्योतिष विद्या में नक्षत्रों का अध्ययन किया जाता है जो कि चंद्रमा द्वारा सितारों के संबंध में एक चक्र पूरा करने लगनेवाले अनुमानित संख्या पर आधारित हैं। प्राचीन भारतीय वैदिक ज्योतिष में विंशोत्तरी दशा चंद्र कैलेंडर के अनुसार चंद्रमा की स्थिति की भविष्यवाणी भारतीय परंपरा में सदियों से लागू की गइ है। भारतीय वैदिक ज्योतिष में मुहुर्त या शुभ समय की गणना, कोई भी काम, उद्यम या किसी भी रिश्ते की शुरुआत से पहले गणना के लिए इसका उपयोग किया जाता है।
भारतीय वैदिक ज्योतिष की पुरानी और विश्वसनीय पद्धति, चन्द्रमा और सूर्य, 5 मुख्य ग्रह बुध , मंगल , शनि , शुक्र और बृहस्पति , तदुपरांत चन्द्रमा के दो केंद्र राहू और केतु की गति पर विचार करते हैं। राशिचक्र के १२ समान भाग क्रमानुसार नीचे दिये गये हैं:
भारतीय पश्चिमी
1 मेष एरीज़
2 वृषभ टॉरस
3 मिथुन जेमिनाय
4 कर्क कैन्सर
5 सिंह लियो
6 कन्या वर्गो
7 तुला लिब्रा
8 वृश्चिक स्कॉर्पीओ
9 धनु सैजिटेरीअस
10 मकर कैप्रकॉर्न
11 कुंभ अक्वेरियस
12 मीन पायसीस