कुंडली के बारह भावों में विभिन्न ग्रहों की स्थितियां बनती हैं जिनके आधार पर विश्लेषण करने पर योग बनते हैं. इन्हीं योगों में एक स्थिति बनती हैं – काल सर्प दोष की.
काल सर्प योग में काल यानि राहु के नक्षत्र के स्वामी यम यानि काल और सर्प यानि केतु के नक्षत्र स्वामी आश्लेषा के स्वामी सर्प से मिल कर बनता है.
► इस योग में राहु और केतु के बीच सभी गृह आते हैं और इसीलिए इन दोनों छाया ग्रहों का आपके सम्पूर्ण भाग्य पर प्रभाव पड़ता है.
कालसर्प योग से आपके सभी कार्यों में बाधा आती है, कड़ी मेहनत का कोई परिणाम नहीं निकलता, संतान से कष्ट मिलता है और शत्रु आप पर हावी होने लगते हैं. सभी भावों के हिसाब से पूरे बारह कालसर्प योग बनते हैं.
1- अनंत कालसर्प योग
2- कुलिक कालसर्प योग
3- वासुकि कालसर्प योग
4- शंखपाल कालसर्प योग
5- पद्म कालसर्प योग
6- महापद्म कालसर्प योग
7- शेषनाग कालसर्प योग
8- विषाक्त कालसर्प योग
9- घातक कालसर्प योग
10- तक्षक कालसर्प योग
11- कर्कोटक कालसर्प योग
12- शंखनाद कालसर्प योग
हमने काल सर्प दोष की पहचान और निवारण दोनों दिए हैं, आप अपनी जन्म पत्री में इनका मिलान कर के कालसर्प दोष होने की पुष्टि कर सकते हैं.