वैदिक ज्योतिष और कर्म सिद्धान्त के आपसी गहन सम्बन्ध की बात की जाए तो,उसके लिए सबसे पहले तो बताना चाहूँगा कि सम्पूर्ण ज्योतिष शास्त्र सिर्फ इसी कर्म-सिद्धान्त की भित्ति पर खडा है.बल्कि यूँ कहें कि कर्म चक्र का ये सिद्धान्त ही तो इस शास्त्र की आत्मा है.यदि इस आत्मा को इससे विलग कर दिया जाए तो फिर शेष रह जाता है——लाल किताब,काली किताब,सुनहरी किताब और अलाणा ज्योतिष-ढिमकाणा ज्योतिष के रूप में इसका निर्जीव शरीर.और एक मृ्त शरीर सिवाय उस पर पलने वाले जीवों के उदर भरण के, किसी का भला क्या हित साध सकता है.