भारत में ज्योतिष शास्त्र के अध्ययन की जड़ें वैदिक काल से देखी जाती है। ज्योतिषीय परंपराओं की झलक भारत के सबसे पवित्र ग्रंथों में से एक अथर्ववेद में दिखाई देती है। भारत में प्राचीन भारतीय वैदिक ज्योतिष शास्त्र जो कि ज्योतिष के नाम से प्रसिद्घ था, ज्योतिष का आधार कुछ तुलनात्मक स्थिर तारों के बदले आकाश में जिस प्रकार से दिखाइ देनेवाले नक्षत्र (सितारों के अनुसार) ग्रहों की स्थिति पर था । इस प्रकार भारतीय वैदिक ज्योतिष की यह प्राचीन पद्धति वैज्ञानिक प्रकृति की है और कई ज्योतिषीय भविष्यवाणियों में गणितीय गणनाएं प्रयोग की जाती हैं।
भारतीय वैदिक ज्योतिष और पश्चिमी ज्योतिष परंपरा और पद्धति के बीच आधारभूत अन्तर गणना की तकनीक में है। पश्चिमी ज्योतिष के राशि चक्र का आधार विषुवत है। पश्चिमी गणना में ग्रहों की स्थिति सितारों के साथ हमेशा बदलती रहती है।
► नक्षत्रों के नाम
दूसरी ओर भारतीय ज्योतिष की गणना बेबीलोन कैलेंडर के १२ नक्षत्रों के अलावा चन्द्रमा आधारित २८ नक्षत्र हैं।
नक्षत्रों के नाम हैं-
अश्विनी