राहु के लिये जातक अपनी जन्म कुन्डली में देखें राहु प्रथम द्वितीय चतुर्थ पंचम सप्तम अष्टम नवम द्वादस भावों में किसी भी राशि का विशेषकर नीच का बैठा हो,तो निश्चित ही आर्थिक मानसिक भौतिक पीडायें अपनी महादशा अन्तरदशा में देता है,इसमे कोई संसय नही है। समय से पहले यानि महादशा अन्तरदशा आरम्भ होने से पहले राहु के बीज मन्त्र का अवश्य जाप कर लेना चाहिये। ताकि राहु प्रताडित न करे और वह समय सुख पूर्वक व्यतीत हो,याद रखें अस्त राहु भयंकर पीडाकारक होता है,चाहे वह किसी भी भाव का क्यों न हो।