rahu mantra

rahu mangal stotra - rahu ke prakop

राहु मंगल स्तोत्र – राहु के प्रकोप – आठवाँ दिन – Day 8 – 21 Din me kundli padhna sikhe – rahu mangal stotra – rahu ke prakop – Aathavaan Din

राहु: सिंहल देश जश्च निऋति कृष्णांग शूर्पासनो। य: पैठीनसि गोत्र सम्भव समिद दूर्वामुखो दक्षिण:॥ य: सर्पाद्यधि दैवते च निऋति प्रत्याधि देव: सदा। षटत्रिंस्थ: शुभकृत च सिंहिक सुत: कुर्यात सदा मंगलम॥ उपरोक्त दोनो स्तोत्रों का नित्य १०८ पाठ करने से राहु प्रदत्त समस्त प्रकार की कालिमा भयंकर क्रोध अकारण मस्तिष्क की गर्मी अनिद्रा अनिर्णय शक्ति ग्रहण […]

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raahu ka vaidik beej mantr - raahu ke prakop

राहु से जुड़े व्यापार और नौकरी – राहु के प्रकोप – आठवाँ दिन – Day 8 – 21 Din me kundli padhna sikhe – rahu se jude vyapar aur naukri – rahu ke prakop – Aathavaan Din

यदि राहु अधिक अंशों में बलवान है, तो इस प्रकार व्यापार और नौकरी फ़ायदा देने वाले होते है, गांजा, अफ़ीम, भांग, रबड का व्यापार, लाटरी कमीशन, सर्कस की नौकरी, सिनेमा में नग्न दृश्य, प्रचार और मीडिया वाले कार्य, म्यूनिसपल्टी के काम, सडक बनाने के काम, जिला परिषद के काम, विधान सभा और लोक सभा के

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rahu ke samay mein - rahu ka prakop

राहु के समय में – राहु के प्रकोप – आठवाँ दिन – Day 8 – 21 Din me kundli padhna sikhe – rahu ke samay mein – rahu ka prakop – Aathavaan Din

राहु के रत्न गोमेद, तुरसा, साफ़ा आदि माने जाते है, लेकिन राहु के लिये कभी भी रत्नों को चांदी के अन्दर नही धारण करना चाहिये, क्योंकि चांदी के अन्दर राहु के रत्न पहिनने के बाद वह मानसिक चिन्ताओं को और बढा देता है, गले में और शरीर में खाली चांदी की वस्तुयें पहिनने से फ़ायदा

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raahu guru apni jaati ko chhupa kar - rahu ke prakop

राहु गुरु अपने पति को छुपाकर – राहु के प्रकोप – आठवाँ दिन – Day 8 – 21 Din me kundli padhna sikhe – raahu guru apni jaati ko chhupa kar – rahu ke prakop – Aathavaan Din

राहु के साथ जब गुरु या तो साथ हो या आगे पीछे हो तो वह अपनी शरारत करने से नहीं हिचकता है, जिस प्रकार से एक पल्लेदार टाइप व्यक्ति किसी को मारने से नही हिचकेगा, लेकिन एक पढा लिखा व्यक्ति किसी को मारने से पहले दस बार कानून और भलाई बुराई को सोचेगा। राहु के

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raahu chandr hamesha chinta ka yog banaate hain - raahu ke prakop

राहु चन्द्र हमेशा चिन्ता का योग बनाते हैं – राहु के प्रकोप – आठवाँ दिन – Day 8 – 21 Din me kundli padhna sikhe – raahu chandr hamesha chinta ka yog banaate hain – raahu ke prakop – Aathavaan Din

राहु और चन्द्र किसी भी भाव में एक साथ जब विराजमान हो, तो हमेशा चिन्ता का योग बनाते है, राहु के साथ चन्द्र होने से दिमाग में किसी न किसी प्रकार की चिन्ता लगी रहती है, पुरुषों को बीमारी या काम काज की चिन्ता लगी रहती है, महिलाओं को अपनी सास या ससुराल खानदान के

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raahu kootneeti ka grah hai - rahu ke prakop

राहु की नीति का ग्रह है – राहु के प्रकोप राहु कूटनीति का ग्रह है – राहु के प्रकोप – आठवाँ दिन – Day 8 – 21 Din me kundli padhna sikhe – raahu kootneeti ka grah hai – rahu ke prakop – Aathavaan Din

राहु कूटनीति का सबसे बडा ग्रह है,राहु जहां बैठता है शरीर के ऊपरी भाग को अपनी गंदगी से भर देता है,यानी दिमाग को खराब करने में अपनी पूरी पूरी ताकत लगा देता है। दांतों के रोग देता है,शादी अगर किसी प्रकार से राहु की दशा अन्तर्दशा में कर दी जाती है,तो वह शादी किसी प्रकार

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raahu jel aur bandhan ka karak hai - rahu ke prakop

राहु जेल और बंधन का कारक है – राहु के प्रकोप – आठवाँ दिन – Day 8 – 21 Din me kundli padhna sikhe – raahu jel aur bandhan ka karak hai – rahu ke prakop – Aathavaan Din

राहु का बारहवें घर में बैठना बडा अशुभ होता है, क्योंकि यह जेल और बन्धन का मालिक है, १२ वें घर में बैठ कर अपनी महादशा अन्तर्दशा में या तो पागलखाने या अस्पताल में या जेल में बिठा देता है, यह ही नही अगर कोई सदकर्मी है, और सत्यता तथा दूसरे के हित के लिये

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dvaadash bhaavon mein raahu - raahu ke prakop

द्वादश भावों में राहु – राहु के प्रकोप – आठवाँ दिन – Day 8 – 21 Din me kundli padhna sikhe – dvaadash bhaavon mein raahu – raahu ke prakop – Aathavaan Din

– राहु प्रथम भाव में शत्रुनाशक अल्प संतति मस्तिष्क रोगी स्वार्थी सेवक प्रवृत्ति का बनाता है। – राहु दूसरे भाव में कुटुम्ब नाशक अल्प संतति मिथ्या भाषी कृपण और शत्रु हन्ता बनाता है। – राहु तीसरे भाव में विवेकी बलिष्ठ विद्वान और व्यवसायी बनाता है। – राहु चौथे भाव में स्वभाव से क्रूर कम बोलने

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chetavni - rahu ke prakop

चेतावनी – राहु के प्रकोप – आठवाँ दिन – Day 8 – 21 Din me kundli padhna sikhe – chetavni – rahu ke prakop – Aathavaan Din

राहु के लिये जातक अपनी जन्म कुन्डली में देखें राहु प्रथम द्वितीय चतुर्थ पंचम सप्तम अष्टम नवम द्वादस भावों में किसी भी राशि का विशेषकर नीच का बैठा हो,तो निश्चित ही आर्थिक मानसिक भौतिक पीडायें अपनी महादशा अन्तरदशा में देता है,इसमे कोई संसय नही है। समय से पहले यानि महादशा अन्तरदशा आरम्भ होने से पहले

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