mahilayen aur ketu grah

महिला और केतु ग्रहमहिलाएँ और केतु ग्रह – आठवाँ दिन – Day 8 – 21 Din me kundli padhna sikhe – mahilayen aur ketu grah – Aathavaan Din

– केतु ग्रह उष्ण, तमोगुणी पाप ग्रह है। केतु का अर्थ ध्वजा भी होता है किसी स्वग्रही ग्रह के साथ यह हो तो उस ग्रह का फल चौगुना कर देता है। यह नाना, ज्वर, घाव, दर्द, भूत -प्रेत, आंतो के रोग, बहरापन और हकलाने का कारक है। यह मोक्ष का कारक भी माना जाता है।

– केतु मंगल की भांति कार्य करता है। यदि दोनों की युति हो तो मंगल का प्रभाव दुगुना हो जाता है। यदि केतु शनि के साथ हो तो यहाँ शनि-मंगल की युति के सामान ही मानी जाती है।

– राहू की भांति केतु भी छाया ग्रह है इसलिए इसका अपना कोई फल नहीं होता है। जिस राशि में या जिस ग्रह के साथ युति करता है वैसा ही फल देता है।

– केतु से प्रभावित महिला कुछ भ्रमित सी रहती है। शीघ्र निर्णय लेने की क्षमता नहीं होती क्यूँ कि यह ग्रह मात्र धड़ का ही प्रतीक होता है और राहू इस देह का कटा सर होता है।

– अच्छा केतु महिला को उच्च पद, समाज में सम्मानित, तंत्र-मन्त्र और ज्योतिष का ज्ञाता बनाता है। बुरा केतु महिला की बुद्धि भ्रमित कर के उसे सही समय निर्णय लेने में बाधित करता है। चर्म रोग से ग्रसित कर देता है। काम-वासना की अधिकता भी कर देता है जिसके फलस्वरूप कई बार दाम्पत्य -जीवन कष्टमय हो जाता है। वाणी भी कटु कर देता है।

– केतु का प्रभाव अलग – अलग ग्रहों के साथ युति और अलग-अलग भावों में स्थिति होने के कारण इसका प्रभाव ज्यादा या कम हो सकता है। इसके लिए किसी अच्छे ज्योतिषी से कुंडली का विश्लेषण करवाकर ही उपाय करवाना चाहिए।

– केतु के लिए लहसुनिया नग उपयुक्त माना गया है। मंगल वार का व्रत और हनुमान जी की आराधना विशेष फलदायी होती है।

– चिड़ियों को बाजरी के दाने खिलाना और भूरे-चितकबरे वस्त्र का दान तथा इन्हीं रंगों के पशुओं की सेवा करना उचित रहेगा।

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