rahu ke samay mein - rahu ka prakop

राहु के समय में – राहु के प्रकोप – आठवाँ दिन – Day 8 – 21 Din me kundli padhna sikhe – rahu ke samay mein – rahu ka prakop – Aathavaan Din

राहु के रत्न गोमेद, तुरसा, साफ़ा आदि माने जाते है, लेकिन राहु के लिये कभी भी रत्नों को चांदी के अन्दर नही धारण करना चाहिये, क्योंकि चांदी के अन्दर राहु के रत्न पहिनने के बाद वह मानसिक चिन्ताओं को और बढा देता है, गले में और शरीर में खाली चांदी की वस्तुयें पहिनने से फ़ायदा होता है। बुधवार या शनिवार को को मध्य रात्रि में आर्द्रा नक्षत्र में अच्छा रत्न धारण करने के बाद ४० प्रतिशत तक फ़ायदा हो जाता है, रत्न की जब तक उसके ग्रह के अनुसार विधि विधान पूर्वक प्राण प्रतिष्ठा नहीं की जाती है, तो वह रत्न पूर्ण प्रभाव नही देता है, इसलिये रत्न पहिनने से पहले अर्थात अंगूठी या पेन्डल में लगवाने के बाद प्राण प्रतिष्ठा अवश्य करवालेनी चाहिये। क्योंकि पत्थर अपने आप में पत्थर ही है, जिस प्रकार से किसी मूर्ति को दुकान से लाने के बाद उसे मन्दिर में स्थापित करने के बाद प्रतिष्ठा करने के बाद ही वह फ़ल देना चालू करती है, और प्राण प्रतिष्ठा नही करवाने पर पता नही और कौन सी आत्मा उसके अन्दर आकर विराजमान हो जावे, और बजाय फ़ल देने के नुकसान देने लगे, उसी प्रकार से रत्न की प्राण प्रतिष्ठा नही करने पर भी उसके अन्दर और कौन सी शक्ति आकर बैठ जावे और जो किया जय वह खाकर गलत फ़ल देने लगे, इसका ध्यान रखना चाहिये, राहु की दशा और अन्तर दशा में तथा गोचर में चन्द्र सूर्य और लगन पर या लगनेश चन्द्र लगनेश या सूर्य लगनेश के ऊपर जब राहु की युति हो तो नीला कपडा भूल कर नही पहिनना चाहिये, क्योंकि नीला कपडा राहु का प्रिय कपडा है, और उसे एकपडे के पहिनने पर या नीली वस्तु प्रयोग करने पर जैसे गाडी या सामान पता नही कब हादसा देदे यह पता नही होता है।

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