जिस व्यक्ति की कुण्डली में राहु परिभाषा योग का निर्माण करता है। वह व्यक्ति राहु के कोप से मुक्त रहता है। यह योग जन्मपत्री में तब निर्मित होता है जब राहु लग्न में स्थित हो अथवा तृतीय, छठे या एकादश भाव में उपस्थित हो और उस पर शुभ ग्रहों की दृष्टि हो। राहु का परिभाषा योग व्यक्ति को आर्थिक लाभ देता है। स्वास्थ्य को उत्तम बनाये रखता है। इस योग से प्रभावित व्यक्ति के कार्य आसानी से बन जाते हैं।