किसी व्यक्ति की कुंडली में यदि धनु या मीन में राहु स्थित है और पंचम भाव में गुरु, मंगल व शनि हैं और नवम भाव का स्वामी अष्टम भाव में है तब यह ब्राह्मण श्राप की कुंडली मानी जाती है और इस ब्राह्मण दोष के कारण ही संतान प्राप्ति में बाधा, सुख में कमी या संतान हानि होती है।
ब्राह्मण श्राप की शांति के लिए किसी मंदिर में या किसी सुपात्र ब्राह्मण को लक्ष्मी नारायण की मूर्तियों का दान करना चाहिए। व्यक्ति अपनी शक्ति अनुसार किसी कन्या का कन्यादान भी कर सकता है। बछड़े सहित गाय भी दान की जा सकती है। शैय्या दान की जा सकती है। सभी दान व्यक्ति को दक्षिणा सहित करने चाहिए। इससे शुभ फलों में वृद्धि होती है और ब्राह्मण श्राप या दोष से मुक्ति मिलती है।