– दान-द्रव्य: पुखराज, सोना, कांसी, चने की दाल, खांड, घी, पीला कपड़ा, पीला फूल, हल्दी, पुस्तक, घोड़ा, पीला फल दान करना चाहिए।
– वृहस्पतिवार व्रत करना चाहिए।
– रुद्राभिषेक करना चाहिए।
– पांच मुखी रुद्राक्ष धारण करें।
– साग का सेवन ज़रूर करें।
– गुढ़हल के फूल को देवताओं को अर्पित करें
– हरे प्याज और शतावरी साग का सेवन करें। इससे शरीर एकदम ठीक रहेगा।
– पुदीने का सेवन ज़रूर किया करें।
– मूली खाएं और खिलाएं भी।
– केसर का दान करें।
– वृहस्पत के दान का दिन वृहस्पतिवार होता है और सुबह का समय होता है।
– गरीबों को दही चावल खिलाने से वृहस्पत का बुरा फल समाप्त होता है।
– गुरु और शिक्षकों की सेवा से भी वृहस्पति अच्छा होता है।
– बासी भोजन करने से बृहस्पत खराब होता है।
– माता-पिता व बुजुर्गो और पितरों का ध्यान रखने वाले लोगों का वृहस्पत हमेशा बेहतर फल देता है।
– जिस दिन गुरु-पुष्य या पुनर्वसु नक्षत्र हो उस दिन नारायण भगवान, गुरु व माता पिता की सेवा ज़रूर करनी चाहिए।
– पीपल के वृक्ष की रक्षा करें तथा मंदिर की सेवा करें।
– गंदगी ना फैलाए।
– किसी भी पूजा स्थल के सामने सिर झुकाकर जाएं।