– जन्म कुंडली में चतुर्थ भाव परिवार का माना जाता है। चतुर्थ भाव से जातक की माता, परिवार और पारिवरिक सुख देखा जाता है। मेष लग्न में चतुर्थ भाव में कर्क राशि होगी तो उसका स्वामी चंद्रमा होगा। चंद्र जन का कारक है व माता से संबंध रखता है। चंद्र नीच का हो तो भी पारिवारिक सुख में बाधा का कारण बनता है। वृषभ लग्न में चतुर्थ भाव का स्वामी सूर्य होगा। सूर्य यदि चतुर्थ में हो तो पारिवारिक सुख मिलेगा।
– चतुर्थेश तृतीय में हो तो ऐसा जातक अपने परिवार को बचाने का भरसक प्रयास करता है, लेकिन कहीं न कहीं पारिवारिक सुख में कमी रहती है। सूर्य शनि के साथ हो या राहु से युति करता हो तो तब भी पारिवारिक सुख में बाधा का कारण बनता है। सूर्य की शुभ स्थिति चतुर्थ में ही ठीक रहेगी। मिथुन लग्न में चतुर्थेश बुध होगा, यहाँ पर दो केंद्र का स्वामी होगा।
– बुध लग्न में हो तो पारिवारिक सुख अच्छा रहता है। चतुर्थेश चतुर्थ में हो तो परिवार सुख अच्छा मिलता है। दशम में बुध हो तो पारिवारिक सुख में कमी रहती है। नवम पंचम में हो तो ठीक रहेगा। कर्क लग्न में चतुर्थेश शुक्र होगा। शुक्र यदि नवम में हो तो सुख उत्तम मिले। एकादश में हो तो पारिवारिक आय अच्छी रहे। चतुर्थ में हो तो स्वराशिस्थ होने से घर-परिवार सुखी हो, वाहनादि हो, मकान-भूमि, माता से लाभ मिले।
– जन्म कुंडली में चतुर्थ भाव परिवार का माना जाता है। चतुर्थ भाव से जातक की माता, परिवार और पारिवरिक सुख देखा जाता है। मेष लग्न में चतुर्थ भाव में कर्क राशि होगी तो उसका स्वामी चंद्रमा होगा। चंद्र जन का कारक है व माता से संबंध रखता है।
– तृतीय में हो तो पारिवारिक कलह रहे। सिंह लग्न में चतुर्थेश मंगल होगा यदि मंगल नवम में हो तो सुखी, चतुर्थ में हो तो महासुखी, मकान-भूमि का लाभ मिलता है। मंगल नीच का हो या शनि से युक्त या दृष्टि संबंध हो तो भी पारिवारिक सुख नहीं मिलता। कन्या लग्न में गुरु चतुर्थेश होगा यदि गुरु सप्तम में हो, द्वादश में हो, उच्च का हो या चतुर्थ में हो तो पारिवारिक सुख अच्छा रहता है।
– तुला लग्न में शनि चतुर्थेश होगा। शनि पंचम में हो, चतुर्थ में हो तो उत्तम सफलता मिलती है। शनि नीच का हो तो पारिवारिक सुख में कुछ कमी रहती है। संतान को कष्ट रहता है। वृश्चिक लग्न में चतुर्थेश शनि होगा। चतुर्थेश चतुर्थ में हो तो परिवार सुखी रहता है। सप्तम में हो तब भी परिवार की स्थिति ठीक रहती है। एकादश-नवम में तब भी अच्छी सफलता मिलती है।
– मकर लग्न में चतुर्थेश मंगल होगा यदि मंगल लग्न में हो तो परिवार सुख अच्छा मिलता है। चतुर्थेश चतुर्थ में हो तब पारिवारिक स्थिति उत्तम होती है। जीवनसाथी को कष्ट रहता है। कुंभ लग्न में शुक्र चतुर्थेश होगा। यदि इसकी स्थिति शुभ हो तो परिवार सुख अच्छा मिलता है। चतुर्थेश नवम में हो तो भाग्य से उत्तम, परिवार सुख रहता है।
– चतुर्थ में शुक्र हो तो वाहनादि से युक्त होकर पारिवारिक सुख-सुविधा उत्तम मिलती है। लग्न में हो तब भी पारिवारिक सुख उत्तम रहता है। मीन लग्न में बुध चतुर्थेश होगा। बुध सप्तम में, चतुर्थ में हो तब भी अच्छा सुख मिलता है। यदि लग्न में हो तो पारिवारिक सुख में कमी रहती है।