कुंडली को बनाने के लिये जो मुख्य कारक सामने लाये जाते है उनके अनुसार पहला जन्म का समय, दूसरा जन्म की तारीख, तीसरा जन्म का महिना चौथा जन्म की साल और पांचवा जन्म का स्थान, इन पांच कारकों को शुद्ध देखना जरूरी होता है, इन पांच कारकों में एक के भी अशुद्ध होने से या आगे पीछे होने से जीवन के प्रति किये जाने वाले फ़लादेश आगे पीछे और असत्य हो जाते है।