कुंडली में केंद्रस्थ शुक्र, मूलत्रिकोण अथवा स्वगृही उच्च का होकर विराजमान हो तो “मालव्य योग” बनता है। इस योग के जातक सुन्दर, गुणी, तेजस्वी, धैर्यवान, धनी तथा जीवन पर्यन्त सुख-सुविधा युक्त रहते हैं।
कुंडली में केंद्रस्थ शुक्र, मूलत्रिकोण अथवा स्वगृही उच्च का होकर विराजमान हो तो “मालव्य योग” बनता है। इस योग के जातक सुन्दर, गुणी, तेजस्वी, धैर्यवान, धनी तथा जीवन पर्यन्त सुख-सुविधा युक्त रहते हैं।