– पुराने जमाने में क्या होता था कि बच्चे का जन्म होते ही पंडित को बुलाया जाता था जन्म समय को देखकर उसका नाम निकलवाया जाता था अक्षर से नाम रखा जाता था आधुनिक समय में यह सब नहीं होता है अक्सर लोग नाम पहले से सोचकर रखते हैं और बच्चे का जन्म होने पर नाम नहीं निकलवाया जाता अपनी मर्जी का नाम रख दिया जाता है बेशक इसका नुकसान होता है ।
– मान लीजिए आपके बच्चे का नाम निकला है म से और आपने रख दिया त अक्षर से इस तरह से म अक्षर से सिंह राशि बनती है और अक्षर से वृश्चिक हो जाती है कल कभी आवश्यकता पड़ने पर आपका बच्चा यदि अपना राशिफल देखता है तो वह अपने नाम के हिसाब से देखेगा जोकि गलत होगा क्योंकि जिस अक्षर से नाम रखा जाना था उससे तो रखा ही नहीं बारिश का परिणाम हमेशा ज्योतिष पर से अविश्वास के रूप में निकलता है
– जब नाम राशी सही रखी ही नहीं है तब आप उससे राशिफल कैसे देख सकते हैं
– अधिकतर लोगों को यह पता नहीं होता की राशि फल हमेशा जनम राशि से देखा जाता है ना की नाम राशि से नाम राशि का प्रयोग अक्सर विवाह के समय शहर बदलने के समय या कुछ मुहूर्त आदि के समय होता है मैं व्यक्तिगत रूप से कहता हूं कि यह चीज भी सही नहीं है
– इंटरनेट पर लोग कई बार पूछते हैं कि हमारे नाम से हमारी कुंडली का मिलान कर दीजिए पैसों के लोग हमें ऐसे लोगों को उल्लू बनाने के लिए बहुत से पंडित इंटरनेट पर मौजूद हैं उन्हें पता है कि यह सब गलत हो सकता है पर आजकल सब पैसा बटोरने में लगे हैं
– यदि आपको अपनी जन्म राशि ज्ञात नहीं है तो अपनी जन्म कुंडली में देखें चंद्रमा किस राशि में बैठा है वही आपकी जन्म राशि होगी उस जनम राशि के आधार पर आप यह तय कर सकते हैं कि आपकी पत्नी से आपके विचार कितने मिलेंगे नीचे मैं कुछ जानकारी द* रहा हूं जो कि इस आधार पर है कि आपको अपनी जन्म राशि का ज्ञान भलीभांति होना चाहिए ना कि नाम राशि का
– मेष राशि के लोगों की दोस्ती सिंह राशि के लोगों से सबसे अधिक गहरी होती है जबकि किताबों में लिखा है मेष की मेष के साथ जोकि गलत है क्योंकि दोनों ही गुस्से वाले होते हैं और दोनों ही झुक नहीं सकते
– यदि कुंडली मिलान करनी है तो सबसे पहले नेचर यानि स्वभाव का मिलान कीजिए यदि शादी करने वाले दोनों ही व्यक्ति गुस्से वाले हैं तो झगड़ा होने पर कुंडली क्या करेगी
– वृषभ राशि वालों की दोस्ती मिथुन और कुंभ राशि वालों के साथ सबसे अधिक गहरी होती है वृषभ और धनु राशि के लोग भी आपस में बहुत अच्छा कॉन्बिनेशन है
– जबकि किताबों में लिखा है ग्रह मैत्री के अनुसार मिलान होना चाहिए जैसे मंगल का शत्रु बुद्धि है सूर्य का शत्रु शनि है चंद्रमा का शत्रु शनि है राहु का शत्रु शनि है बुद्ध मंगल का शत्रु है शुक्र का शत्रु मंगल और केतु है गुरु किसी का शत्रु नहीं होता आदि आदि
– परंतु मेरा व्यक्तिगत अनुभव है कि मंगल और बुध की शत्रुता होते हुए भी मेष राशि वाले मिथुन राशि वालों के साथ अच्छी मैत्री रखते हैं गुरु और शुक्र में शत्रुता होती है परंतु वृषभ राशि और धनु राशि के लोग आपस में कम लड़ते हैं
– बुध और गुरु आपस में शत्रु होते हैं परंतु मिथुन और धनु राशि के लोग आपस में कम लड़ते हैं और धनु और कन्या राशि के लोग तो एक दूसरे की तरफ आकर्षित होते हैं शायद इसीलिए अधिकतर मामलों में कुंडलिया नहीं मिलती क्योंकि कुंडली मिलान के पैरामीटर ही ऐसे बने हुए हैं
– मेष राशि के व्यक्ति यदि कर्क राशि वालों के साथ शादी करें कुंडली तो मिलान में बहुत अच्छी दिखाएगी लेकिन होगा क्या की कर्क राशि का व्यक्ति हमेशा दबाव महसूस करेगा क्योंकि मेष राशि के लोग डोमिनेटिंग होते हैं और कर्क राशि के लोग बहुत ही भावुक मेष राशि के लोगों में भावुकता ना के बराबर होती है और कर्क राशि के लोग छोटी से छोटी बात को बड़ा करके देखते हैं सोचते ज्यादा हैं इसके विपरीत मेष राशि के लोग अधिक नहीं सोचते और काम को कर डालते हैं
– मैंने देखा है गुरु और शनि आपस में सम रहते हैं परंतु धनु और कुंभ राशि वाले लोग आपस में अच्छे मित्र साबित होते हैं परंतु धनु और मकर राशि के लोगों की हमेशा खटपट चलती रहती हैं इसका कारण यह नहीं है कि गुरु मकर राशि में नीच का होता है इसी तरह बुध मीन राशि में नीच का होता है और कन्या और मीन राशि वालों की आपस में नहीं बननी चाहिए परंतु ऐसा होता नहीं इसका कारण यह है कि कन्या राशि के लोग अति संवेदनशील होते हैं और दयालु भी फिर मीन राशि के लोग तो सबसे अधिक दयालु माने जाते हैं और कभी हृदय होते हैं इसलिए दोनों ही संवेदनशील होंगे तो आपस में कैसे नहीं बनेगी गुण मिलान में इसके उल्टे परिणाम नजर आएंगे और कुंडली नहीं मिलेगी
– परंतु सूर्य और शनि आपस में दोनों एक दूसरे के शत्रु होते हैं इसलिए सिंह राशि के लोगों की मकर राशि के लोगों के साथ या कुंभ राशि के लोगों के साथ कम बनती है यह बात सच है फिर भी कहीं कहीं मैंने देखा है सिंह राशि के लोग मकर राशि के लोगों के साथ सामान्य व्यवहार करते हैं
– तुला राशि के लोग कुंभ राशि के लोगों के साथ बहुत ही अच्छे रहते हैं उसका कारण यह है कि दोनों ही स्वतंत्रता प्रिय होते हैं और एक दूसरे की भावनाओं का ख्याल रखते हैं दोनों ही प्रैक्टिकल होते हैं दोनों में काफ़ी समानताएं होती हैं
– कर्क राशि के लोग वृश्चिक राशि के लोगों के साथ बहुत अच्छे रहते हैं जबकि मंगल कर्क राशि में नीच का होता है इसके पीछे कारण यह है की मंगल का वृश्चिक राशि पर जितना असर होता है उतना ही जल तत्व का भी असर वृश्चिक राशि पर होता है क्योंकि कर्क और वृश्चिक दोनों ही जल तत्व से संबंध रखते हैं इसलिए दोनों में मैत्री अवश्यंभावी है
– निष्कर्ष यह निकलता है की परंपरागत मेलापक के साथ-साथ यदि हम उपरोक्त बातों का ध्यान रखेंगे तो अधिक से अधिक कुंडलियां मिल सकती हैं जहां पर केवल एक कुंडली के सामान्य से दोष के कारण अच्छे-अच्छे रिश्ते टूट जाते है