कुंडली में जब राहू आठवें घर में, केतु दुसरे घर में और बाकि सभी गृह इन दोनों के मध्य फसे हो तो कर्कोटक कालसर्प दोष का निर्माण होता है ! कर्कोटक कालसर्प दोष के प्रभाव से जातक के जीवन पर बहुत बुरा असर पड़ता है, जातक हमेशा सभी के साथ कटु वाणी का प्रयोग करता है, जिस वजह से उसके सम्बन्ध अपने परिवार से बिगड़ जाते है और वह उनसे दूर हो जाता है ! कई मामलों में पुश्तैनी जायजाद से भी हाथ धोना पड़ता है! जातक खाने पिने की गलत आदतों की वजह से अपनी सेहत बिगाड़ लेता है, कई बार ज़हर खाने की वजह से मौत भी हो सकती है ! पारिवारिक सुख न होने की वजह से कई बार विवाह न होने, विवाह देरी जैसे फल मिलते है, लेकिन इस दोष की वजह से जातक को शारीरिक संबंधो की हमेशा कमी रहती है और वह विवाह का पूर्ण आनंद नहीं प्राप्त करता !
कर्कोटक कालसर्प दोष होने पर पारिवारिक सम्बन्धों में काफी असर पड़ता है। इस दोष से प्रभावित व्यक्ति का अपने कुटुम्बों एवं सगे-सम्बन्धियों से मतभेद रहता है। इनमें आपसी सामंजस्य की कमी रहती है। इन कारणों से जरूरत के वक्त परिवार के सदस्य सहयोग के लिए आगे नहीं आते हैं। इस तरह की परेशानी से बचने के लिए व्यक्ति को संयम और धैर्य से काम लेने की जरूरत होती है। क्रोध पर काबू रखना भी आवश्यक होता है।
व्यय के रास्ते अचानक ही बनते रहते हैं जिससे बचत में कमी आती है। पैतृक सम्पत्ति के सुख से व्यक्ति वंचित रह सकता है अथवा पैतृक सम्पत्ति मिलने पर भी उसे सुख की अनुभूति नही होती है। व्यक्ति की आजीविका में समय-समय पर मुश्किलें आती हैं जिनके कारण नुकसान सहना पड़ता है। आठवें घर में बैठा राहु व्यक्ति को स्वास्थ्य सम्बन्धी चिंताएं देता है। दुर्घटना की संभावना भी बनी रहती है। अगर व्यक्ति सजग एवं सावधान नहीं रहे तो अपने आस-पास में हो रहे साजिश के कारण उसे कठिन हालातों से भी गुजरना पड़ता है।
कर्कोटक नाग के विषय में उल्लेख मिलता है कि यह भगवान शिव के बड़े भक्त हैं। शिव जी तपस्या करते हुए इन्हेंनों शिव की अनुकम्पा प्राप्त की है। उज्जैन में एक शिव मंदिर है जो कर्कोटेश्वर के नाम से जाना जाता है। मान्यता है कि इसी मंदिर में कर्कोटक को शिव की कृपा मिली थी। इस मंदिर में शिव जी पूजा अर्चना करने से कर्कोटेश्वर कालसर्प का दोष दूर होता है। पंचमी, चतुर्दशी एवं रविवार के दिन यहां दर्शन पूजा करना अति उत्तम माना जाता है। इस दिन यहां पूजा करने से सभी प्रकार की सर्प पीड़ा से मुक्ति मिलती है।
जो लोग यहां दर्शन के लिए नहीं जा सकते हैं वह पंचाक्षरी मंत्र से शिव की पूजा करें और दूध व जल से उनका अभिषेक करें तो कर्कोटक कालसर्प दोष के अशुभ फल से बचाव होता है। इस दोष की शांति के लिए नागपंचमी एवं शिवरात्रि के दिन शिव की पूजा अधिक फलदायी होती है। पंचमी तिथि में सवा किलो जौ बहते जल में प्रवाहित करने से भी कर्कोटक कालसर्प दोष शांत होता है।