ज्योतिषीय द्रष्टि से जातक की शादी के लिए उसकी कुंडली का सप्तम भाव बहुत ही महत्वपूर्ण होता है। सप्तम भाव के आदर पर ही विद्धवान ज्योतिषी जातक की शादी ओर पत्नी सुख के बारे में अपनी भविष्यवाणी कहते है। हम देखते है की कभी कभी सुन्दर स्वस्थ्य ओर धनवान होने के बाद भी किसी किसी जातक अथवा जातिका का विवाह नहीं होता है तो इसका कारण उसका सप्तम भाव अथवा सप्तमेश बिगड़ा हुआ है ओर यह भाव बिगड़ा हुवा कैसे है यह हम आगे कुछ ज्योतिषीय जानकारी के माध्यम से पता करेंगे। आगे जों भी कारण लिखा है उनको आप स्वयं देखे पढ़े ओर समझे ओर कुंडली देखकर विचार करेगे तो पाएंगे की ज्योतिषीय जानकारी कितनी स्टिक ओर स्पस्ट है।
– सप्तम भाव का स्वामी खराब है या सही है वह अपने भाव में बैठ कर या किसी अन्य स्थान पर बैठ कर अपने भाव को देख रहा है।
– सप्तम भाव पर किसी अन्य पाप ग्रह की द्रिष्टि नही है।
– कोई पाप ग्रह सप्तम में बैठा नही है।
– यदि सप्तम भाव में सम राशि है।
– सप्तमेश और शुक्र सम राशि में है।
– सप्तमेश बली है।
– सप्तम में कोई ग्रह नही है।
– किसी पाप ग्रह की द्रिष्टि सप्तम भाव और सप्तमेश पर नही है।
– दूसरे सातवें बारहवें भाव के स्वामी केन्द्र या त्रिकोण में हैं, और गुरु से द्रिष्ट है।
– सप्तमेश की स्थिति के आगे के भाव में या सातवें भाव में कोई क्रूर ग्रह नही है।