कुंडली में राहू चौथे घर में, केतु दसवें घर में और बाकी सभी गृह राहू और केतु के मध्य स्थित हो तो शंखफल कालसर्प दोष का निर्माण होता है ! जिन जातकों की कुंडली में शंख फल कालसर्प दोष होता है वें जातक बचपन से ही गलत कार्यों में पड़कर बिगड़ जाते है, जैसे पिता की जेब से पैसे चुराना, विद्यालय से भाग जाना, गलत संगत में रहना और चोरी चाकरी और जुआ आदि खेलना ! यदि माता पिता द्वारा समय रहते उपाय किये जाए तो बच्चों को बिगड़ने से बचाया जा सकता है ! शंख फल कालसर्प से गृह्सित जातक की माता को जीवन बहुत परेशानिया झेलनी पड़ती है, यह परेशिनिया मानसिक और शारीरिक दोनों हो सकती है ! जातक को विवाह का सुख भी अधिक नहीं मिलता, पति या पत्नी से हमेशा दूरियां और अनबन बनी रहती है !
यह दोष जिस व्यक्ति की कुण्डली में होता है वह हमेशा एक अनजाने भय से भयभीत रहता है। शिक्षा में बाधाएं आने की गुंजाइश रहती है। यह दोष व्यक्ति को माता से मिलने वाले स्नेह एवं सुख को कम करता है। किसी बात को लेकर माता से विवाद एवं मतभेद की भी आशंका रहती है। बहनों से सम्बन्ध में खटास होने के कारण उनसे मिलने वाले सहयोग में कमी आती है।
इस दोष के कारण व्यक्ति मानसिक उलझनों में घिरा रहता है। मकान एवं भूमि के मामलों में उन्हें नुकसान होने की संभावना रहती है। इन सुखों को पाना इनके लिए कुछ कठिन भी होता है। अगर यह अपना घर खरीद लें अथवा बनवायें फिर भी उसमें रहते हुए इन्हें आत्म संतोष की कमी महसूस होती है।
नौकरी एवं व्यवसाय में इन्हें काफी संघर्ष करना होता है। आजीविका में उतार-चढ़ाव के कारण आर्थिक परेशानियां भी व्यक्ति को महसूस होती है। वाहन सुख के मामले में भी यह दोष बाधक माना जाता है। अधीनस्थों से पूरा सहयोग नहीं मिल पाता है इनके कारण व्यक्ति को कार्य में कठिनाईयों को सामना करना होता है। मित्रों एवं परिजनों के विश्वासघात की भी संभावना बनी रहती है।
भगवान शिव अपने गले में नागों की माला धारण करते हैं। नाग जाति भगवान शिव को अपना आराध्य मानते हैं तथा भगवान शिव भी उनके प्रति कृपालु रहते हैं अत: किसी भी प्रकार का सर्प दोष होने पर शिव की शरण में जाना कल्याणकारी होता है। ज्योतिषशास्त्र में शंखपाल कालसर्प के उपाय के तौर पर यह कहा गया है कि, जिनकी जन्मपत्री में शंखपाल कालसर्प दोष है उन्हें इस दोष के अशुभ प्रभाव को कम करने के लिए शिवलिंग पर चांदी के सर्प चढ़ाने चाहिए। मां सरस्वती एवं गणपति जी की पूजा से भी शंखपाल कालसर्प दोष का अशुभ प्रभाव कम होता है।
भगवान श्री कृष्ण की मूर्ति को मोर पंख से सजाकर उनकी पूजा करने से शंखपाल कालसर्प दोष के कष्ट से मुक्ति मिलती है। शंखपाल कालसर्प दोष की शांति हेतु उड़द के आटे का सर्प बनाकर वर्ष भर नियमित उसकी पूजा करने के बाद जल में प्रवाहित कर देना चाहिए।