ise milakar karen vivaah

इसे मिलाकर करें विवाह, वरना 36 गुण मिलने पर भी होगा तलाक – तेरहवां दिन – Day 13 – 21 Din me kundli padhna sikhe – ise milakar karen vivaah, warna 36 gun milane par bhi hoga talaak – Terahavaan Din

विवाह मानव जीवन का सबसे महत्वपूर्ण संस्कार है। इस संस्कार मे बंधने से पूर्व वर एवं कन्या के जन्म नामानुसार गुण मिलान करके की परिपाटी है। गुण मिलान नहीं होने पर सर्वगुण सम्पन्न कन्या भी अच्छी जीवनसाथी सिद्ध नहीं होगी। गुण मिलाने हेतू मुख्य रूप से अष्टकूटों का मिलान किया जाता है। ये अष्टकूट है, वर्ण, वश्य, तारा, योनी, ग्रहमैत्री,गण, राशि, नाड़ी।

विवाह के लिए भावी वर-वधू की जन्म-कुंडली मिलान करते नक्षत्र मेलापक के अष्टकूटों (जिन्हे गुण मिलान भी कहा जाता है) में नाडी को सबसे महत्वपूर्ण स्थान दिया जाता है।

नाड़ी जो कि व्यक्ति के मन एवं मानसिक ऊर्जा की सूचक होती है। व्यक्ति के निजी सम्बंध उसके मन एवं उसकी भावना से नियंत्रित होते हैं, जिन दो व्यक्तियों में भावनात्मक समानता, या प्रतिद्वंदिता होती है, उनके संबंधों में ट्कराव पाया जाता है।

जैसे शरीर के वात, पित्त एवं कफ इन तीन प्रकार के दोषों की जानकारी कलाई पर चलने वाली नाड़ियों से प्राप्त की जाती है, उसी प्रकार अपरिचित व्यक्तियों के भावनात्मक लगाव की जानकारी आदि, मध्य एवं अंत्य नाम की इन तीन प्रकार की नाड़ियों के द्वारा मिलती है।

वैदिक ज्योतिष अनुसार आदि, मध्य तथा अंत्य- ये तीन नाड़ियां यथाक्रमेण आवेग, उद्वेग एवं संवेग की सूचक हैं, जिनसे कि संकल्प, विकल्प एवं प्रतिक्रिया जन्म लेती है। मानवीय मन भी कुल मिलाकर संकल्प, विकल्प या प्रतिक्रिया ही करता है और व्यक्ति की मनोदशा का मूल्यांकन उसके आवेग, उद्वेग या संवेग के द्वारा होता है।

इस प्रकार मेलापक में नाड़ी के माध्यम से भावी दम्पती की मानसिकता, मनोदशा का मूल्यांकन किया जाता है। वैदिक ज्योतिष के मेलापक प्रकरण में गणदोष, भकूटदोष एवं नाड़ी दोष- इन तीनों को सर्वाधिक महत्व दिया जाता है। यह इस बात से भी स्पष्ट है कि ये तीनों कुल 36 गुणों में से (6+7+8=21) कुल 21 गुणों का प्रतिनिधित्व करते हैं और शेष पांचों कूट (वर्ण, वश्य, तारा, योनि एवं ग्रह मैत्री) कुल मिलाकर (1+2+3+4+5=15) 15 गुणों का प्रतिनिधित्व करते हैं। अकेली नाड़ी के 8 गुण होते हैं, जो वर्ण, वश्य आदि 8 कूटों की तुलना में सर्वाधिक हैं, इसलिए मेलापक में नाड़ी दोष एक महादोष माना गया है।

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