तेरहवां दिन

kundalee ka chhatha bhaav - kundalee dekhane ke niyam

कुंडली का छठा भाव – कुंडली देखने के नियम – तेरहवां दिन – Day 13 – 21 Din me kundli padhna sikhe – kundalee ka chhatha bhaav – kundalee dekhane ke niyam – Terahavaan Din

कुंडली के छठे भाव को वैदिक ज्योतिष में अरि अथवा शत्रु भाव कहा जाता है तथा कुंडली के इस भाव के अध्ययन से यह पता चल सकता है कि जातक अपने जीवन काल में किस प्रकार के शत्रुओं तथा प्रतिद्वंदियों का सामना करेगा तथा जातक के शत्रु अथवा प्रतिद्वंदी किस हद तक उसे परेशान कर […]

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kundalee ka saatavaan bhaav - kundalee dekhane ke niyam

कुंडली का सातवाँ भाव – कुंडली देखने के नियम – तेरहवां दिन – Day 13 – 21 Din me kundli padhna sikhe – kundalee ka saatavaan bhaav – kundalee dekhane ke niyam – Terahavaan Din

कुंडली के सातवें भाव को वैदिक ज्योतिष में युवती भाव कहा जाता है तथा कुंडली के इस भाव से मुख्य तौर पर जातक के विवाह और वैवाहिक जीवन के बारे में पता चलता है। इस प्रकार जातक के विवाह तथा वैवाहिक जीवन से जुड़े अधिकतर प्रश्नों के उत्तर जानने के लिए कुंडली के इस भाव

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kundalee ka chautha bhaav - kundalee dekhane ke niyam

कुंडली का चौथा भाव – कुंडली देखने के नियम – तेरहवां दिन – Day 13 – 21 Din me kundli padhna sikhe – kundalee ka chautha bhaav – kundalee dekhane ke niyam – Terahavaan Din

कुंडली के चौथे भाव को वैदिक ज्योतिष में मातृ भाव तथा सुख स्थान भी कहा जाता है, यह भाव जातक के जीवन में माता की ओर से मिलने वाले योगदान तथा जातक के द्वारा किए जाने वाले सुखों के भोग को दर्शाता है। चौथा भाव कुंडली का एक महत्त्वपूर्ण भाव है तथा किसी भी क्रूर

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kundalee ka paanchava bhaav - kundalee dekhane ke niyam

कुंडली का पांचवां भाव – कुंडली देखने के नियमकुंडली का पाँचवा भाव – कुंडली देखने के नियम – तेरहवां दिन – Day 13 – 21 Din me kundli padhna sikhe – kundalee ka paanchava bhaav – kundalee dekhane ke niyam – Terahavaan Din

कुंडली के पाँचवे भाव को वैदिक ज्योतिष में संतान भाव कहा जाता है तथा अपने नाम के अनुसार ही कुंडली का यह भाव संतान प्राप्ति के बारे में बताता है। हालांकि कुंडली के कुछ और तथ्य भी इस विषय में अपना महत्त्व रखते है। यहां पर यह बात घ्यान देने योग्य है कि कुंडली का

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kundalee ka doosara bhaav - kundalee dekhane ke niyam

कुंडली का दूसरा भाव – कुंडली देखने के नियम – तेरहवां दिन – Day 13 – 21 Din me kundli padhna sikhe – kundalee ka doosara bhaav – kundalee dekhane ke niyam – Terahavaan Din

कुंडली के दूसरे भाव को वैदिक ज्योतिष में धन स्थान कहा जाता है तथा किसी भी व्यक्ति की कुंडली में इस भाव का अपना एक विशेष महत्त्व होता है। इसलिए किसी कुंडली को देखते समय इस भाव का अध्ययन बड़े ध्यान से करना चाहिए। कुंडली का दूसरा भाव कुंडली धारक के द्वारा अपने जीवन काल

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kundalee ka teesara bhaav - kundalee dekhane ke niyam

कुंडली का तीसरा भाव – कुंडली देखने के नियम – तेरहवां दिन – Day 13 – 21 Din me kundli padhna sikhe – kundalee ka teesara bhaav – kundalee dekhane ke niyam – Terahavaan Din

कुंडली के तीसरे भाव को वैदिक ज्योतिष में बंधु भाव कहा जाता है, कुंडली का तीसरा भाव कुंडलीधारक के पराकर्म को भी दर्शाता है तथा इसिलिए कुंडली के इस भाव को पराक्रम भाव भी कहा जाताहै। कुंडली के इस भाव से जातक के अपने भाई-बंधुओं, दोस्तों, सहकर्मियों तथा पड़ोसियों के साथ संबधों का पता चलता

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kundalee ka pahala bhaav - kundalee dekhane ke niyam

कुंडली का पहला भाग – कुंडली देखने के नियम – तेरहवां दिन – Day 13 – 21 Din me kundli padhna sikhe – kundalee ka pahala bhaav – kundalee dekhane ke niyam – Terahavaan Din

वैदिक ज्योतिष में कुंडली के पहले भाव को लग्न कहा जाता है तथा वैदिक ज्योतिष के अनुसार इसे कुंडली के बारह घरों में सबसे महत्त्वपूर्ण घर माना जाता है। किसी भी व्यक्ति विशेष के जन्म के समय उसके जन्म स्थान पर आकाश में उदित राशि को उस व्यक्ति का लग्न माना जाता है तथा इस

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