bacchon ka rona

बच्चों का रोना – घरेलू उपचार – bacchon ka rona – gharelu upchar

परिचय :

कभी-कभी बच्चे कोई परेशानी होने या उनके शरीर में कहीं दर्द होने पर चिड़चिड़े हो जाते हैं क्योंकि बच्चे अपना दर्द बोलकर तो किसी को कह नहीं सकते इसलिए वे रोने लगते हैं। अगर बच्चे को गोदी में लेकर घुमाया जाये तो वह कुछ देर के लिए चुप हो जाता है और फिर रोना शुरू कर देते हैं। बच्चों को अगर कोई खिलौना हाथ में खेलने के लिए दिया जाए तो वे उससे थोड़ी देर तक खेलते हैं और उसे भी दूर फेंक देते हैं।

बच्चों का रोना बंद करें-

  • जिन बच्चों को घर पर सभी बहुत प्यार करते हैं। वे बच्चे जो कुछ भी कहते हैं या मांगते हैं उन्हें वह चीज दे दी जाती है। ऐसे बच्चों को अपनी हर जिद पूरी कराने की आदत सी पड़ जाती है और वह हर छोटी-बड़ी बात जिद करके मनवाने लगता है। अगर उनकी जिद पूरी न की जाये तो बच्चे कहीं पर भी घर में या बाहर सड़क पर रोने लगते हैं। मजबूरी में मा-बाप को उनकी जिद पूरी करनी ही पड़ती है।
  • घर में हमेशा खुशी का माहौल रहना चाहिए। छोटी-छोटी बातों पर घर में बहस या लड़ाई नहीं होनी चाहिए। ऐसा माहौल होने से बच्चे के स्वभाव पर बहुत बुरा असर पड़ता है और वह चिड़चिड़ा हो जाता है। इसलिए बच्चों को हमेशा अच्छे माहौल में रखना चाहिए। रात को सोते समय बच्चों को अच्छी-अच्छी कहानियां सुनानी चाहिए। मां-बाप को कुछ समय तक बच्चों के साथ खेलना भी चाहिए। इसके लिए चाहे उन्हें कुछ समय के लिए बच्चा बनने की एक्टिंग ही क्यों न करनी पड़े।
  • कभी-कभी बच्चे की नींद पूरी न होने की वजह से बच्चों में चिड़चिड़ापन आ जाता है क्योंकि बच्चे हमेशा रात को देर तक जागते हैं और ऐसे में अगर उन्हें सुबह जल्दी उठा दिया जाये तो वे रोने लगते हैं। बच्चों के भोजन में भी बच्चों के स्वभाव पर पड़ने वाले प्रभाव होते हैं। ज्यादा तेल वाला, मिर्च मसालों वाला या ज्यादा मीठा भोजन भी बच्चे के स्वभाव को चिड़चिड़ा बना देता है।
  • बच्चों का ज्यादा समय खेलने-कूदने में बीतना चाहिए क्योंकि अगर बच्चा बाहर या पार्क में खेलने जायेगा तो बच्चे को अपने साथ के और बच्चे मिलेंगे और वह दूसरे बच्चों के साथ खेलने-कूदने में व्यस्त हो जाता है। इससे बच्चे को जिद करने का मौका ही नहीं मिलेगा और कुछ समय के बाद बच्चे की ये आदत खत्म हो जायेगी।
  • बच्चा यदि इतना बड़ा है कि मुंह से अपनी जरूरत की चीज मांग सकता है तो उसके रोने अथवा जिद्द करने पर उसे कुछ न दीजिए। यदि आपने उसके रोने या जिद्द करने पर उसकी मांगी हुई चीज दे दी तो इससे उसकी रोने की आदत और बढ़ जायेगी। दूसरी ओर यदि उसके रोने से उसे मांगी हुई चीज न मिली और उसकी सारी कोशिश बेकार हो गई तो इससे उसकी रोने की आदत छूट जायेगी। बच्चे की आदत एक बार में नहीं सुधरेगी लेकिन धीरे-धीरे वह सामान्य हो जायेगा।

बच्चों का रोना का विभिन्न औषधियों से उपचार:

काला जीरा:

अगर बच्चे का पेट फूल जाये और वह दर्द के मारे चुप न हो रहा हो तो काला-जीरा के रस में कालानमक या सेंधानमक मिलाकर बच्चे को पिलाने से फूला हुआ पेट कम हो जायेगा और दर्द भी बंद हो जाता है। इससे बच्चे को आराम मिलता है।

तेजपत्ता:

लगभग 2 से 3 ग्राम तेजपत्ता के चूर्ण को अदरक के रस और शहद के साथ बच्चों को खिलाने से बच्चों को होने वाले सभी रोगों में लाभ होता है।

बायविडंग:

अगर छोटा बच्चा बोल नहीं पाता हो और उसके पेट में कीड़ों के कारण दर्द हो तो 6 ग्राम (छोटे बच्चों के लिए 3 ग्राम) बायविडंग के चूर्ण को दही के साथ सिर्फ 3 दिन तक लगातार खिलाने से बच्चे के पेट के सारे कीड़े बाहर निकल आते हैं।

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