know your better future from planets

ग्रहों से जानें अपना बेहतर भविष्य – खराब ग्रह उपाय | Know your better future from planets – kharab grah upaay

 

• लग्नेश उच्च का हो या स्वराशिस्थ हो या मित्र राशि का होकर लग्न द्वितीय, तृतीय, चतुर्थ, पंचम, नवम, दशम, एकादश भाव में शुरू होगा। षष्ठ या अष्टम, द्वादश में न हो तो अच्छा है।

• द्वितीयेश द्वितीय में स्वराशिस्थ हो या उच्च का हो या मित्र राशि का हो तो उस जातक को धन-कुटुम्ब का सहयोग और अपनी वाणी द्वारा सफलता का कारक बनता है।

• तृतीय पराक्रम, भाई, मित्र का स्वामी, स्वराशिस्थ उच्च या मित्र का होकर केंद्र या त्रिकोण में हो तो उसे भाइयों, मित्रों का सहयोग मिलने से पढ़ाई के क्षेत्र में आसानी हो जाती है।

• चतुर्थ भाव का स्वामी स्वराशिस्थ होकर चतुर्थ में हो या मित्र का होकर लग्न, नवम में या एकादश आय भाव में हो या पंचम में हो तो उसे माता, भाग्य, पिता, धन, का लाभ मिलकर विद्या में उन्नति होती है।

• पंचम भाव का स्वामी पंचम में हो तो या स्वराशिस्थ होकर बैठा हो या उच्च का हो या मित्र क्षेत्री होना चाहिए। पंचमेश नवम में, दशम में या एकादश में या लग्न में हो तो विद्या में अच्छी सफलता पाता है।

• नवम भाव का स्वामी नवम भाव में हो या लग्न, पंचम, तृतीय, चतुर्थ, दशम में स्वराशिस्थ या मित्र राशि या उच्च का हो तो भाग्य का बल अच्छा होने से उन्नति होती है।

• दशम भाव का स्वामी दशम में होकर लग्नेश या पंचमेश के साथ हो तो पिता, राज्य से सहयोग मिलता है।

• एकादश भाव में पंचमेश हो या उस भाव में शुभ दृष्टि पंचम पर पड़ती हो तो विद्या में अच्छी सफलता मिलती है।

• पंचम भाव में शुक्र स्वराशिस्थ या श‍नि की मकर, कुंभ राशि में हो तो कम्प्यूटर इंजीनियर या नेत्र विशेषज्ञ बन सकता है।

• पंचम भाव में गुरु, बुध, शुक्र कोई भी एक स्वराशि के हों तो उसे आईटी के क्षेत्र में सफलता मिलती है या उपरोक्त ग्रह नवम लग्न में होने पर भी सफल होते हैं।

• शुक्र लग्न को देखता हो तो सीए या सीएस में अच्छी सफलता पाने वाला होता है या पंचमेश के साथ पंचम में, नवम में या लग्न में हो तो भी सफल होता है।

• तृतीयेश लग्न में हो व लग्नेश पंचम में पंचमेश नवम में हो तो ऐसा जातक प्रत्येक क्षेत्र में सफल होता है।

• गुरु लग्न में स्वराशि का हो या चतुर्थ भाव को देखता हो तो एमबीए में सफल होता है।

• जब मंगल स्वराशि में पंचम को देखता हो व लग्नेश की पंचम पर या चतुर्थ पर नवम पर दृष्टि पड़ती हो तब भी एमबीए में सफलता पाता है।

• पंचम भाव में मंगल शुक्र के साथ हो व मकर या कुंभ का हो तो आटोमोबाइल में सफलता पाता है। इसी प्रकार इन ग्रहों का संबंध पंचमेश से हो तब भी अच्छी सफलता दिला पाता है।

• लग्नेश बली हो व दशम में पंचमेश हो व पंचमेश दशम में हो तब प्रशासनिक सेवा में सफलता मिलती है।

• एकाउंट्‍स में गुरु-चंद्र की स्थिति महत्वपूर्ण होती है। गुरु पंचम में हों या पंचमेश होकर चंद्र से दृष्टि हो व लग्नेश की स्थिति पंचम में हो या नवम में या तृतीय भाव में हो तो भी सफल होता है।

• वकालत में गुरु, मंगल, सूर्य का बली होना उत्तम सफलता का कारक होता है। इनमें से कोई दो या तीनों ग्रह लग्न, पंचम, नवम, चतुर्थ भाव में पंचमेश के साथ हो या दृष्टि संबंध हो तो भी सफल होता है।

• मंगल आईपीएस में सफलता का कारक होता है। मेष लग्न हो मंगल-पंचम में होकर गुरु से दृष्ट हो या पंचमेश सूर्य लग्न में मंगल के साथ गुरु की दृष्टि में हो या दशम में मंगल उच्च का हो तो अच्छी सफलता का कारक होता है।

• आईएएस के लिए सूर्य, गुरु का बली होना आवश्यक है। जब मेष, सिंह, धनु लग्न हो व सूर्य, मेष, सिंह या धनु राशि पर होकर पंचमेश के साथ हो तो इस क्षेत्र में अच्छी सफलता मिलती है।

• कोई भी भाव जो विद्या आदि के लिए महत्वपूर्ण है वह अष्टम-षष्ठ में न हो, न ही इन भावों के स्वामी के साथ हो। हाँ पंचमेश द्वादश में हो तो विद्या में अच्छी सफलता मिलती है। नहीं तो काफी संघर्ष करने के बाद सफल होता है।

• पंचमेश अपने से द्वादश में न हो, न ही लग्नेश नवमेश तृतीयेश हो नहीं तो सफलता के मार्ग में अनेक बाधाएँ डालता है।

• पंचमेश भाग्येश, लग्नेश, तृतीयेश, दशमेश, चतुर्थेश, ‍शनि-‍मंगल, की युतियाँ दृष्टि संबंध नहीं होना चाहिए। सूर्य-चंद्र भी साथ न हों तो असफलता नहीं मिलेगी फिर ग्रह षष्ठ व अष्टम को छोड़कर कहीं भी हों।

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