जब दिन-रात मेहनत करने पर भी रूखी-सूखी मिले। चलते उद्योग-व्यापार में अथवा कारोबार में तरक्की की बजाय अवनति होने लगे तब समझ लें कि दुर्भाग्य ने हमारा दामन थाम लिया है। जो भाग्य में लिखा है, वह भोगना ही पडता है, परंतु फिर भी इस प्रभाव को कम तो किया ही जा सकता है। पूजा-पाठ और ईश्वर को याद करने के अलावा भी हिन्दू तन्त्र-शास्त्र और मुस्लिम टोने-टोटकों में अनेक ऎसे उपाय हैं जिनका प्रयोग करके भाग्य के आगे पडे पर्दे को न केवल हटाया जा सकता है बल्कि सौभाग्य को बढाया भी जा सकता है। जब बुरे दिन चल रहे हों तब इस अध्याय में वर्णित टोने-टोटकों, गंडे-तावीजों और यन्त्र-मन्त्रों का प्रयोग अवश्य कीजिए,भगवान की कृपा से आपके बुरे दिन भी अच्छे दिनों में बदल जाएंगे। ये करें…,दुर्भाग्य टालें
कागजों पर छोटे अक्षरों में राम-राम लिखें। अधिक से अधिक संख्या में ये नाम लिखकर सबको अलग-अलग काट लें। अब आटे की छोटी-छोटी गोलियां बनाकर एक-एक कागज उनमें लपेट लें और नदी या तालाब पर जाकर मछलियों और कछुओं को ये गोलियां खिलाएं। पूर्णमासी से पूर्णमासी तक अथवा कम से कम एक मास तक ऎसा करें।
कछुओं और मछलियों को नित्य आटे की गोलियां खिलाएं।
चीटियों को भुने हुए आटे में बूरा मिलाकर बनाई पंजीरी खिलाएं।
शनिवार को एक कटोरी में सरसों का तेल और सिक्का (रूपया-पैसा) डालकर उसमें अपनी परछाई देखें और तेल मांगने वाले को दे दें।
यथाशक्ति पूजा-आराधना और दान प्रतिदिन नियमित रूप से करें।
बुरे वक्त को शान्ति से काटें। उत्तेजना से बचें और शान्त बने रहने का प्रयास करें।
उदास होकर बैठ जाना किसी समस्या का हल नहीं। अपने सभी कार्य नियमित रूप से करें।