रवि, पुष्य योग
नौ घंटे तक इसके दूध को घी में खरल करके (1:4), उस घी को पौरुष इन्द्रिय पर लगाने से सात दिन में नसविकार और दौर्बल्य नष्ट हो जाता है |
पुराने आक की जड़-मूल के अन्तिम सिरे की गांठ को गणेश मंत्र से सिद्ध करके तिजोरी में रखने पर धन कभी नहीं घटता |
इसके पके 108 पत्तों को प्राप्त करके सवा सेर गाय के घी में गणेश मंत्र पढ़ते हुए एक-एक पत्ता जलाते जायें | इसके बाद छानकर 10 ग्राम प्रतिदिन एक पाव बकरी के दूध के साथ पियें, तो धातु से उत्पन्न नपुंसकता दूर हो जाती है |
इसकी जड़ को गोरोचन, बच और सिन्दूर के साथ मिलाकर 108 मन्त्रों से सिद्ध करके तिलक करने से त्रिभुवन वशीकृत होता है |
कृति नक्षत्र में मारण मंत्र से सिद्ध करके तालाब में गाड़ने पर मछलियां मर जाती हैं | (शिकार) |
कृतिका नक्षत्र में 16 अंगुल की जड़ प्राप्त करके मदिरायल में कीलने पर वहां की मदिरा का नशा नहीं होता |
रविपुष्य नक्षत्र में लायी जड़ द्वारा पर लगाने से टोन-टोटके का प्रभाव नहीं होता |
रविपुष्य नक्षत्र में प्राप्त जड़ को 21000 गणपति मंत्र से सिद्ध करके किसी स्त्री की कमर में मूलाधार को 108 बार मंत्र सिद्ध करके बांधा जाये, तो वह निश्चय की पुत्रवती होती है |
उक्र नक्षत्र की जड़ को 108 बार गणपति मंत्र से अभिमन्त्रित करके कमर पर बांधने से स्खलन शीघ्र नहीं होता |