तंत्र विज्ञान में किसी भी वनस्पति की छल, मूल, दाल आदि को प्राप्त करने के लिए अनेक नियम बताये गये हैं | आधुनिक युग को यह विचित्र और निरर्थक इसलिए लगता है कि वह इन विधियों के पीछे छिपे कारणों को नहीं जनता |
आमंत्रित करना
तंत्र में किसी वनस्पति या उसके किसी विशेष अंग की प्राप्ति के लिए नियम हैं कि आप एक दिन पूर्व उसकी पूजा करें, उसमें जल दें, सम्बंधित अंग पर धागा बांधें और अगले दिन एक ही झटके में उसे प्राप्त करें |
इसमें रहस्य कुछ नहीं है | वनस्पति एक चैतन्य जीव है | भय से उसमें विष फैलता है | जब आप आमंत्रित करते हैं, तो उससे दोस्ती हो जाती है | वह आपसे भयभीत नहीं होता | तब आप एक ही झटके में जो प्राप्त करतें हैं, उसमें विष नहीं होता | यदि है, तो यह सरासर विश्वासघात; परन्तु यदि हम उसका उपयोग करना चाहते हैं, तो यही करना पड़ेगा |
कपड़े से पकड़ना, तेज चाकू से काटना, लकड़ी के औजार से खोदना, सूखे पीढ़े पर रखना, हाथ या धरती के सम्पर्क में न आने देना; उसमें स्थित आवेश की रक्षा के लिए है | यदि लोहे के चाकू पर हाथ है, तो उसके आवेश हमारे शरीर में, शरीर से पृथ्वी में चले जायेंगे |
अकसर आमन्त्रण सन्ध्या में और प्राप्ति ब्रह्ममुहूर्त में की जाती है, परन्तु यह कोई नियम नहीं है | अनेक औषधियों रत्रिबली होती हैं | उन्हें रात में प्राप्त किया जाता है |