तंत्र की प्राचीन पुस्तकों में अनेक ऐसी वनस्पतियों के चमत्कारिक तांत्रिक गुणों का वर्णन है कि सहसा विश्वास ही नहीं होता की ऐसा हो सकता है; परन्तु यह सत्य है और मैंने इनमें से अनेक का प्रयोग किया है; फल देखकर में स्वयं विस्मित रह गया |
आखिर इसका रहस्य क्या है ?
वनस्पतियों के इन चमत्कारिक गुणों का कारण क्या है ?
स्मरण रखें कि इस प्रकृति में चमत्कार नाम का कोई चीज नहीं है | जिनका कारण हमें ज्ञात नहीं होता, वह हमारे लिए चमत्कार है; कारण ज्ञात होने पर स्वाभाविक घटना | उदाहरणस्वरुप, आज के टीoवीo, मोबाइल, रिमोट अआदी को लें | आप क्या समझते हैं ? प्रकृति में ये तरंगे पूर्व में नहीं थी या वैज्ञानिक इनके आविष्कारकर्ता हैं ? इस प्रकार की तरंगे पूर्व में भी थी, बिजली में ये गुण पहले से थे | हम जानते न थे | हमें उनके उपयोग का तरीका ज्ञात न था |
ठीक यही स्थिति इन पौधों या वनस्पतियों की हैं | इनमें जो प्राकृतिक चमत्कारिक गुण हैं; ये इनके सर्किट के ऊर्जा-समीकरण के गुण हैं | इनमें भी वही सर्किट है, जो हममें है | ऊर्जा-समीकरण भिन्न हैं |
जब शरीर से कोई अंग कटता है, तो एक निश्चित समय तक उनसे तरंग निकलती रहती है | तंत्र में बाल, मैल, अधोवस्त्र आदि का प्रयोग इसी सूत्र पर किया जाता है | वनस्पतियों में भी यही स्थिति है | प्राचीनकाल में वनस्पतियों के इन तरंगीय गुणों का जो अध्ययन और प्रयोग किया गया है; वे ही वनस्पति तंत्र की चमत्कारिक वनस्पति हैं |