इस इस्लामी यंत्र को किसी पर्व के अवसर पर सिद्ध कर लें।
फिर जाफरान (केसर) की स्याही बनाकर सफेद कागज या भोजपत्र पर इसकी रचना करें तथा धूप, दीप, फूल, नैवेद्य से उसकी पूजा कर लोबान की धूनी दें। तत्पश्चात उसे तांबे के तावीज में भरकर और काले धागे में पिरोकर प्रेतादि बाधा या नजर दोष से पीड़ित व्यक्ति के गले में धारण कराएं, उसे भूत-प्रेत बाधाओं, नजर दोष आदि से मुक्ति मिलेगी।
इस तरह, उक्त मंत्रों और यंत्रों के अतिरिक्त और भी अनेकानेक मंत्र और यंत्र हैं जिनका अनुष्ठान कर नजर दोषों तथा ऊपरी बाधाओं से मुक्ति प्राप्त की जा सकती है।
इनके अतिरिक्त श्रीमद् भगवद् गीता में भी नजर दोषों से मुक्ति का उपाय बताया गया है। ग्रंथ के ग्यारहवें अध्याय का ३६वां श्लोक इस संदर्भ में द्रष्टव्य है।
स्थाने हृषीकेश तव प्रकीर्त्या जगत्प्रहृष्यत्यनुरज्यते च। रक्षांसि भीतानि दिशो द्रवन्ति सर्वे नमस्यन्ति च सिद्धसंघाः।
इस मंत्र को जन्माष्टमी, शारदीय पूर्णिमा, दीपावली या वैशाखी पूर्णिमा की रात्रि में पवित्रतापूर्वक आसन पर बैठकर ३००० बार जप कर सिद्ध कर लेना चाहिए तत्पश्चात आवश्यकता पड़ने पर कमी भी इसका प्रयोग किया जा सकता है।