यह उपाय भूत-प्रेतजन्य बाधाओं से पीड़ित व्यक्ति को उनसे मुक्ति के लिए करना चाहिए।
मिट्टी के एक शुद्ध पात्र अथवा तांबे के बर्तन में गंगाजल अथवा कुएं का जल उसे उक्त सिद्ध मंत्र से ७ बार अभिमंत्रित कर लें और उसमें अपने दाएं हाथ की तर्जनी उंगली को फिराकर उसमें थोड़ा सा जल पीड़ित को पिला दें और शेष जल को उसके शरीर पर तथा उसके रहने के कमरे में छिड़क दें। यह क्रिया नियमित रूप से सुबह और शाम तब तक करते रहें, जब तक प्रेतबाधा दूर न हो जाए।