गायत्री मंत्र का सवा लाख जप कर पीपल, पाकर, गूलर या वट की लकड़ी से उसका दशांश हवन करें, ऊपरी हवाओं से मुक्ति मिलेगी।
सोने, चांदी या तांबे के कलश को सूत्र से वेष्टित करें और रेतयुक्त स्थान पर रखकर उसे गायत्री मंत्र पढ़ते हुए जल से पूरित करें। फिर उसमें मंत्रों का जप करते हुए सभी तीर्थों का आवाहन करके इलायची, चंदन, कपूर, जायफल, गुलाब, मालती के पुष्प, बिल्वपत्र, विष्णुकांता, सहदेवी, वनौषधियां, धान, जौ, तिल, सरसों तथा पीपल, गूलर, पाकर व वट आदि वृक्षों के पल्लव और २७ कुश डाल दें। इसके बाद उस कलश में भरे हुए जल को गायत्री मंत्र से एक हजार बार अभिमंत्रित करें। इस अभिमंत्रित जल को भूता बाधा, नजर दोष आदि से पीड़ित व्यक्ति के ऊपर छिड़कर उसे खिलाएं, वह शीघ्र स्वस्थ हो जाएगा। इस प्रयोग से पैशाचिक उपद्रव भी शांत हो जाते हैं।
जो घर ऊपरी बाधाओं और नजर दोषों से प्रभावित हो, उसमें गायत्री मंत्र का सवा लाख जप करके तिल, घृत आदि से उसका दशांश हवन करें। फिर उस हवन स्थल पर एक चतुष्कोणी मंडल बनाएं और एक त्रिशूल को गायत्री मंत्र से एक हजार बार अभिमंत्रित करके उपद्रवों और उपद्रवकारी शक्तियों के शमन की कामना करते हुए उसके बीच गाड़ दें।
किसी शुभ मुहूर्त में अनार की कलम और अष्टगंध की स्याही से भोजपत्र पर नीचे चित्रांकित यंत्र की रचना करें।
फिर इसे गायत्री मंत्र से अभिमंत्रित कर गुग्गुल की धूप दें और विधिवत पूजन कर ऊपरी बाधा या नजरदोष से पीड़ित व्यक्ति के गले में बांध दें, वह दोषमुक्त हो जाएगा।
जिन व्यक्तियों ने गायत्री मंत्र का पुरश्चरण नहीं किया हो, उन्हें यह प्रयोग करने से पहले इस मंत्र का एक बार विधिवत पुरश्चरण अवश्य कर लेना चाहिए।