according to astrology

ज्योतिष के अनुसार – मांगलिक दोष | According to astrology – manglik dosh

 

ज्योतिष के अनुसार मंगल की चार भुजाएँ है | इनके शारीर के रोए लाल है तथा इनके हाथो में अभय मुद्रा, त्रिशूल, गदा और वर मुद्रा है | इन्होने लाल माला और लाल वस्त्र धारण कर रखे है | इनके मस्तक पर स्वर्ण मुकुट है तथा ये मेष ( मेंढा ) के वहां पर स्वर है | ज्योतिष में मंगल को क्रूर ग्रह माना गया है जिसका अर्थ अग्नि के समान लाल है, इसलिए इसे अंगारक भी कहते है | मंगल को भौम, कुज आदि नामो से भी जाना जाता है | नवग्रहों में मंगल को सेनापति की संज्ञा दी गई है मंगल तृतीय एवं षष्ठ भाव के कारक ग्रह है | कर्क एवं सिंह लग्न की कुंडली में ऐ विशेष कारक माने जाते है एवं मिथुन और कन्या लग्न की कुंडली में यह विशेष अकारक ग्रह बन जाते है | मंगल मकर राशि में उच्च एवं कर्क राशि में नीच के होते है | जन्म-कुंडली में मंगल जिस भाव में स्थित होते है, उस भाव से सम्बंधित कार्य को अपनी स्थिति के अनुसार सुदृढ़ करते है |

शुभ मंगल, मंगलकारी और अशुभ मंगल, अमंगलकारी कार्य करवाते है | मंगल शक्ति, साहस, क्रोध, युद्ध, दुर्घटना, षड़यंत्र, बीमारियों, विवाद, भूमि सम्बन्धी आदि कार्यो का कारक ग्रह है | मंगल तांबे, खनिज पदार्थो , सोने, मूंगे, हथियार, भूमि आदि का प्रतिनिधित्व करता है | मंगल शिराओं व धमनियों की टूट-फूट, अस्थि मज्जा के रोग, रक्त्रस्राव, गर्भपात, मासिक धर्म में अनियमितता, सुजाक गठिया और दुर्घटना तथा जलना का प्रतिक है | अशुभ मंगल अमंगलकारी हो जाता है | जिसके प्रभाव से जातक आतंकवादी, दुराचारी, षड्यंत्रकारी और विद्रोही बनता है | मंगल की क्रूरता के कारण ही वर-वधु की कुंडली में मंगल का मिलान आवश्यक होता है | दांपत्य जीवन सुखमय हो इसके लिए वर -वधु दोनों की कुंडली में मंगल ग्रह की स्थिति देखकर मिलान किया जाना चाहिए एवं मंगल शांति अवश्य करवाना चाहिये | मंगल ग्रह की शांति के लिए शिव उपासना एवं मूंगा रत्ना धारण करने का भी विधान है |

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