uttaraashaadha nakshatr parichay

उत्तराषाढ़ा नक्षत्र परिचय – उत्तराषाढ़ा नक्षत्र – Uttara ashadha constellation introduction – uttaraashaadha nakshatr parichay

उत्तराषाढ़ा नक्षत्र का स्वामी सूर्य है। इसका प्रथम चरण भूनाम से धनुराशि में आता है। राशि स्वामी गुरु है तो नक्षत्र स्वामी सूर्य है। सूर्य की दशा में सबसे कम 6 वर्ष की होती है। जो लगभग जन्म से 6 वर्ष के अंदर बीत जाती है। इसके बाद चंद्रमा की 10 वर्ष मंगल की 7 वर्ष कुल मिलाकर 17 वर्ष यही समय होता है। जब बच्चा पढ़ाई में संलग्न रहता है यहीं से उसके भविष्य का निर्माण होता है। अतः सूर्य के साथ मंगल का जन्म पत्रिका में शुभ होकर बैठना ही उस बालक का भविष्य निर्धारण करने में सहायक होगा। सूर्य अत्यंत तेजस्वी ग्रह होकर आत्मा का कारक है।

अग्नि तत्व व राशि भी अग्नि तत्व होने से इसका प्रभाव जातक पर ग्रह स्थितिनुसार अधिक पड़ता है। सूर्य यदि गुरु के साथ हो तो उच्च प्रशासनिक सेवाओं में सफलता मिलती है। ऐसे जातकों में कुशल नेतृत्वक्षमता होती है। ये राजनीति, जज, आईएएस ऑफिसर, सीए आदि क्षेत्र में अधिक सफल होते हैं।

मंगल के साथ हो तो पुलिस राजनीति, संगठन, उद्योग आदि में सफलता पाते हैं। बुध के साथ हो तो लेखक, वणिक, उत्तम वक्ता, वकील, प्रकाशक आदि क्षेत्र में सफल होते हैं। सूर्य शुक्र के साथ हो तो सुंदर व कामुक भी होते हैं। अन्य ग्रह जैसे राहु, शनि के साथ शुभफल नहीं मिलता। सूर्य जहाँ शुभ हो वहीं गुरु का भी शुभ होना आवश्यक है। मंगल यदि उत्तम स्थिति में हो तो ऐसा जातक अपना भविष्य उत्तम ही बनाएगा।

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