गुदा का फटना
जानकारी-
यह रोग कब्ज के कारण से अधितर होता है, जब रोगी मलत्याग करने बैठता है और कांखता है या जोर लगाकर मलत्याग करता है तो उसके मलद्वार की मांस की पेशी या उसके चारों ओर की श्लैष्मिक झिल्ली फट जाती है। इस रोग के कारण से मलत्याग करते समय या मलत्याग करने के बाद जलन महसूस होती है, मलत्याग करते समय खून की लकीर सी पड़ी दिखाई पड़ती है। इस प्रकार से गुदा फटने के समय में रोगी को बहुत अधिक परेशानी होती है, यहा तक की रोगी कभी-कभी बेहोश भी हो जाता है। रोगी की यह अवस्था तीन-चार घंटे तक चलती रहती है।
विभिन्न औषधियों से चिकित्सा-
1. नाइट्रिक ऐसिड- गुदा फटने पर उपचार करने के लिए नाइट्रिक ऐसिड औषधि से ज्यादा निश्चित प्रभाव किसी दूसरी औषधि में नहीं है। इस औषधि से उपचार तब करते हैं जब रोगी में इस प्रकार के लक्षण हों जैसे- जब रोगी शौच करने जाता है तो उसके गुदा पर दर्द होता है, चाहे पतली मल आए तब भी दर्द होता है। मलत्याग करने के एक दो घंटे के बाद रोगी के मलद्वार पर तेज दर्द रुक-रुककर होता है। कठोर मलत्याग करने के कारण गुदा के फट जाने पर ऐसा होता है। इस प्रकार के लक्षणों से पीड़ित रोगी के रोग को ठीक करने के लिए नाइट्रिक ऐसिड औषधि की 6 शक्ति प्रयोग करना चाहिए, इसी प्रकार के लक्षणों में रटिन्हया औषधि की 6 शक्ति का भी प्रयोग कर सकते हैं। बवासीर के रोग को ठीक करने के लिए भी रटिन्हया तथा नाइट्रिक ऐसिड औषधि का प्रयोग किया जा सकता है। ऐसे रोगी जब मलत्याग करने जाता है तो उस समय उतना दर्द नहीं होता जितना कि मलत्याग करने के बाद। इस प्रकार के लक्षण होने पर इस औषधि की 30 शक्ति का भी प्रयोग कर सकते हैं।
2. ग्रैफाइटिस-
गुदा फटने के साथ ही कब्ज की समस्या भी होती है। इस लक्षण से पीड़ित रोगी जब मलत्याग करता है तो उसका मल गांठदार और बहुत लम्बा होता है, मल श्लेष्मा के सूतों में लिपटे हुए होता है, मलत्याग करने के बाद म्यूकस निकलता है। रोगी के गुदा के भाग में एक्जीमा हो जाता है। इस प्रकार के लक्षण होने के साथ ही रोगी का गुदा फटने लगता हो तो रोग को ठीक करने के लिए ग्रैफाइटिस औषधि की 30 शक्ति का उपयोग करना लाभकारी है।
गुदा फटने पर दर्द होना, कफ जैसे पदार्थ में लिपटे कड़ा मल त्याग होना इस प्रकार के लक्षण रोगी में हों तो उसके इस रोग को ठीक करने के लिए ग्रैफाइटिस औषधि की 6 शक्ति की मात्रा का प्रयोग करने से लाभ मिलता है।
बवासीर के कारण से मलद्वार फटकर घाव हो गया हो तो उसे ठीक करने के लिए ग्रैफाइटिस औषधि का उपयोग किया जा सकता है।
3. नैट्रम म्यूर- रोगी के गुदाद्वार फटने के साथ ही होंठ तथा मुंह भी फटा रहता हैं। गुदाद्वार में खुश्की होने से गुदा फट जाता है। इस प्रकार के लक्षण होने के साथ ही निम्न प्रकार के लक्षण भी होते हैं-मुंह सूखना, कब्ज होना आदि। ऐसे रोगी के इस रोग का उपचार करने के लिए नैट्रम म्यूर औषधि की 30 शक्ति का उपयोग करना लाभकारी है।
4. पेओनिया- गुदाद्वार फटने से उसमें से स्राव होने लगता है, गुदा में कतरने जैसा दर्द होता है, गुदा में खुजली भी होती है तथा भगंदर हो जाता है। इस रोग को ठीक करने के लिए पेओनिया औषधि की 3 शक्ति का उपयोग किया जाता है।
5. रैटानहिया- रोगी का गुदाद्वार फटने के साथ ही उसमें आग लगने के समान दर्द होता है। मलत्याग करने के घंटों बाद तक मलद्वार पर दर्द होता है। रोगी के मलद्वार पर जलन होती है, काटने जैसा दर्द होता है, पतले दस्त तथा कब्ज की समस्या होती है। ऐसे रोगी के इस रोग को ठीक करने के लिए रैटानहिया औषधि की 3 या 6 शक्ति से उपचार करना फायदेमंद होता है।
6. इस्क्युलस- मलद्वार फटने पर जलन होती है तथा जख्म हो जाता है और मलत्याग करने पर मल सूख कड़ा और गांठेंदार होता है, पीठ में दर्द भी होता है। इस प्रकार के लक्षण रोगी में हो तो उसके रोग को ठीक करने के लिए इस्क्युलस औषधि की 3 शक्ति का उपयोग करना अधिक लाभदायक होता है।
7. हैमामेलिस- मलद्वार फटने पर यदि उसमें से स्राव हो रहा हो तो रोग को ठीक करने के लिए हैमामेलिस औषधि की 1 शक्ति का उपयोग करना चाहिए।
8. आर्स- मलद्वार फटकर उसमें से रक्त स्राव हो रहा हो तथा दर्द हो रहा हो तो उपचार करने के लिए आर्स औषधि की 3 शक्ति का उपयोग करना चाहिए।
अन्य उपचार-
मलत्याग करने से पहले रोगी अपने मलद्वार पर तेल या घी लगा लें, इससे मल असानी से त्याग होगा।
कब्ज की समस्या होने पर सहन करने योग्य गर्म पानी की पिचकारी लें।
यदि रोग को ठीक करने के लिए जरूरत पड़ने पर कैलेंडुला या हैमामेलिस अया इस्क्यूलस का मलहम मलद्वार पर लगाएं।
कब्ज की समस्या होने पर रोगी को फल-मूल (पका केला, पका पपीता, अंगूर, नींबू, किममिश, अनार) का सेवन करना चाहिए, इससे लाभ मिलेगा।