tangon mein dard

टांगों में दर्द – पुरुष रोग का होम्योपैथी उपचार – tangon mein dard – purush rog ka homeopathy se upchar

टांगों में दर्द

1. कार्बो-ऐनीमैलिस :- रात को कूल्हे की हड्डी में दर्द होता है, टांग के सामने वाली हड्डी में दर्द होता है, टांग की पिण्डलियों की पेशियां सिकुड़ती है और उनमें दर्द होता है। रीढ़ के नीचे की हड्डी में भी दर्द होता है, गिट्टे आसानी से मुड़ जाते हैं। कलाई में दर्द होता है। ऐसे लक्षण रोगी में है तो उसका उपचार करने के लिए इस औषधि की 3 या 30 शक्ति की मात्रा का उपयोग किया जाता है।

2. डायोस्कोरिया :- कमर में दर्द होने के कारण रोगी लंगड़ाकर चलता है और जब वह आगे की ओर झुकता है तो उसके कष्ट और भी बढ़ने लगते हैं, जोड़ों में दर्द होता है, जोड़ कड़े पड़ जाते हैं। ऐसे लक्षणों से पीड़ित रोगी के रोग को ठीक करने के लिए इस औषधि की मूल-अर्क या 3 शक्ति की मात्रा का उपयोग लाभकारी है। साइटिका रोग को ठीक करने के लिए भी इस औषधि का उपयोग किया जा सकता है। रोगी के पैर में दर्द जांघ से चलकर नीचे की ओर जाता है, दायें भाग में अधिक कष्ट होता है और हरकत करने से अधिक परेशानी होती है, जब रोगी आराम से पड़ा रहता है तो कष्ट नहीं होता है। ऐसे लक्षण होने पर डायोस्कोरिया औषधि से उपचार करना लाभकारी है।

3. बैडियागा :- घुटने के नीचे लम्बी हड्डी में दर्द होने पर चिकित्सा करने के लिए इस औषधि की 6 शक्ति की मात्रा का सेवन करना चाहिए। रोगी की मांसपेशियों में ऐसा दर्द होता है कि मानो पीटकर खूब मरम्मत की है।

4. गुआएकम :- रोगी के पैर में दर्द होने के साथ ही कमर में दर्द होता है। गृध्रसी रोग होना। ऐसे रोग को ठीक करने के लिए इस औषधि की 6 शक्ति की मात्रा का उपयोग करना लाभदायक है। रोगी के गिट्टे से दर्द उठकर टांग की तरफ जाता है जिससे रोगी लंगड़ाकर चलता है। इस प्रकार के लक्षण होने पर उपचार करने के लिए इस गुआएकम औषधि का उपयोग किया जा सकता है।

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