हृदय से सम्बंधित अनेक समस्याओं में कारगर है
घृतकुमारी के रस ,तुलसी के पत्ते के रस,पान के पत्ते का रस,ताजे गिलोय के पंचांग का रस ,सेब का सिरका एवं लहसुन की कली इन सबको समान मात्रा में उबालकर एक चौथाई शहद के साथ उबाल लें और नियमित एक चम्मच खाली पेट लें ,आपको हृदय रोगों से बचाव सहित रोगजन्य स्थितियों में हृदय को मजबूती प्रदान करने वाला अनुभूत योग है, यह ,आप प्रयोग करें और हृदय रोगों से बचे रहें।
—-बादाम के नियमित सेवन से लोगों को दिल की बीमारी होने का खतरा कम होता है.अमेरिका में हर पांच में से एक व्यक्ति इस सिंड्रोम से ग्रस्त है. साथ ही अधिक उम्र के लोगों में इसके लक्षण अधिक पाए जाते हैं.विज्ञान पत्रिका प्रोटियोम रिसर्च में बार्सिलोना विश्वविद्यालय के एक बयान के हवाले से कहा गया है कि उपापचयी सिंड्रोम यानी मेट्स से टाइप 2 मधुमेह और हृदय रोग होने का खतरा बढ़ जाता है.विरगिली विश्वविद्यालय की मानव पोषण इकाई की क्रिस्टीना एन्ड्रेस लेक्यूवा और उनकी सहयोगियों ने पाया कि दुनियाभर में ज्यादा से ज्यादा लोगों में मोटापा बढ़ने का मतलब यह है कि अधिक-से-अधिक लोग उपापचयी सिंड्रोम्स से प्रभावित हो रहे हैं.शोधकर्ताओ ने बादाम से होने वाले फायदे की जांच करने के लिए 22 मेट्स प्रभावित मरीजों को 12 सप्ताह तक बादाम की अधिक मात्रा वाले आहार पर रखा.बाद में उनकी तुलना 20 मेट्स प्रभावित मरीजों के उस समूह से की गई जिन्हें बादाम की कम मात्रा वाले आहार पर रखा गया था.शोधकर्ताओं ने अध्ययन में पाया कि बादाम की अधिक मात्रा खाने वाले मरीजों के शरीर में कई प्रकार के अच्छे परिवर्तन हुए हैं.उन्हीं बदलावों में से एक था मरीजों में सेरोटोनिन मेटाबोलाइट का स्तर बढ़ना.शोधकर्ताओं के मुताबिक सेरोटोनिन एक ऐसा रसायन होता है जो भूख लगने के एहसास को कम करता है, जिससे लोग खुश और स्वस्थ महसूस करते हैं और हृदय का स्वास्थ्य अच्छा रहता है.
——हृदयरोग की जड़ में अनेक कारण हो सकते हैं- धूम्रपान, गलत खान-पान, आराम की जिंदगी, चलने-फिरने और शारीरिक श्रम में कोताही या फिर दौड़-धूप और तनाव की अधिकता। लेकिन एक कारण ऐसा भी है, जिसके बारे में कोई नहीं सोचता। यही नहीं, नीद की कमी होने पर मस्तिष्काघात (लकवा मार जाने) का खतरा भी 15 प्रतिशत बढ़ जाता है। प्रश्न यह है कि कितने घंटे की नींद को ‘कम नींद’ माना जाए? इन वैज्ञानिकों का कहना है कि यदि कोई हर दिन 5-6 घंटे भी नहीं सोता, तो उसे नींद की कमी से पीड़ित माना जाना चाहिए।कम भी खतरनाक, ज्यादा भी नुकसानदेह —बात यहीं समाप्त नहीं होती। नींद और स्वास्थ्य के बीच अजीब-सा रिश्ता है। आप सोचते हैं कि नींद की कमी से स्वास्थ्य बिगड़ता है, तब उसकी अधिकता से स्वास्थ्य जरूर बनता होगा, तो आप गलत सोचते हैं। स्वास्थ्य नींद की कमी से ही नहीं, अधिकता से भी बिगड़ता है। संतुलित भोजन की तरह शरीर को नींद भी संतुलित मात्रा में चाहिऐ। न अधिक, न कम।वार्विक मेडिकल स्कूल के वैज्ञानिकों ने पाया कि जो लोग नियमित रूप से हर रात बहुत देर तक सोते हैं (8-9 घंटों से अधिक), वे भी दिल के दौरे या लकवे को न्यौता देते हैं। उनके प्रसंग में दिल का दैरा पड़ने का खतरा 38 प्रतिशत, जबकि लकवा मार जाने का ख़तरा 65 प्रतिशत तक बढ़ जाता है।
—-विश्व भर में हृदय रोग से पीड़ित लोग अपने बचाव के लिए सब कुछ करने के बाद भी जीवन बचाने में असमर्थ रहते हैं। योग के दैनिक जीवन में प्रयोग से हृदय रोग से बचना संभव है। हृदय को प्राप्त रक्त संचार कम होने से वह आगे रक्त प्रसारण करने में असमर्थ होकर कार्य रोकता है और हृदयाघात होता है। धमनियों में मोटे रक्त (अधिक कोलेस्ट्रॉल) का संचार सुचारु रूप से नहीं होना इसका प्रमुख कारण है।चयापचप (मेटाबोलिज्म) हमारे शारीरिक परिश्रम और दैनिक जीवन में प्राप्त भोजन पर निर्भर करता है। आधुनिक जीवन में शारीरिक परिश्रम करने की आवश्यकता नहीं होती और भोजन में अधिक मात्रा में वसा, प्रोटीन व कार्बोज की मात्रा बढ़ती जाती है। 25 से 30 साल की आयु में इसकी जाँच रक्त परीक्षण (लिपिड प्रोफाइल) प्रति वर्ष कराना चाहिए। इसके साथ ही दैनिक जीवन में योग करना चाहिए जिससे चयापचप सामान्य रहे।योगाभ्यास से हृदय-फेफड़ों की माँसपेशियाँ लोचदार रहने से हृदय में रक्त संचार सहज होता है। योगाभ्यास से यह लोच चौबीस घंटे रहता है क्योंकि योग में शरीर गर्म नहीं किया जाता तथा शरीर के सामान्य तापमान पर ही दैनिक योगाभ्यास से लचीलापन आता है। यह अन्य व्यायाम की विधा में संभव नहीं है।