yogaabhyaas mein pramukh roop se ye prayog

योगाभ्यास में प्रमुख रूप से ये प्रयोग – पुरुष रोग का ज्योतिषी द्वारा उपचार – yogaabhyaas mein pramukh roop se ye prayog – purush rog ka jyotish dwara upchar

योगाभ्यास में प्रमुख रूप से ये प्रयोग
अनुलोम-विलोम : कमर व गर्दन सीधी रखकर हवादार कमरे में बैठें। एक नथूने से धीरे-धीरे लंबी व गहरी श्वास फेफड़ों में भरे और धीरे-धीरे दूसरे नथूने से लेने के दोगुने समय में बाहर निकालें। फिर उसी नथूने से श्वास लेकर पहले वाले नथूने से धीरे-धीरे इसी प्रकार निकालें। इस प्रकार 1:2 के अनुपात में 10 से 15 बार श्वास-प्रश्वास करें।

भस्त्रिका प्राणायाम : दोनों नथूनों से जल्दी-जल्दी श्वास-प्रश्वास 10 बार करके धीरे से लंबी श्वास भरके यथाशक्ति भीतर रोकें और धीरे-धीरे बाहर निकालें। तीन बार इसे दोहराएँ।

मार्जरासन : यह हृदय-फेफड़ों की माँसपेशियों को लोचदार बनाता है। चौपाए की तरह घुटनों एवं हाथों के बल होकर गर्दन-कमर ऊपर-नीचे 10 बार करें।

शशकासन : वज्रासन में बैठकर सामने झुकें। हाथों को लंबा रखें। माथा हो सके तो जमीन पर रखें। 10 से 15 बार श्वास-प्रश्वास लेने तक इसी स्थिति में रहने का प्रयास करें।

वक्रासन : यह चयापचप को सामान्य रखने में मदद करता है। पैर जमीन पर लंबे कर, एक पैर मोड़कर दूसरे पैर के घुटने के पास जमाकर वही हाथ पीछे रखें। दूसरा हाथ घुटने के ऊपर से होते हुए लंबे पैर का घुटना पकड़कर कमर को पीछे वाले हाथ की तरफ घुमाएँ और 10-15 श्वास-प्रश्वास करें। ऐसा ही दूसरी तरफ से करें।

धनुरासन : पेट के बल लेट जाएँ और घुटनों से पैर मोड़कर टखनों को दोनों हाथों से मजबूती से पकड़े और धीरे-धीरे शरीर को ऊपर उठाएँ। तने हुए शरीर के साथ 10-15 श्वास-प्रश्वास करें और धीरे-धीरे शरीर को पुनः जमीन पर लाएँ।

उत्तानपादासन : पीठ के बल लेटकर दोनों हाथों को बगल में रखकर दोनों पैरों को 45 डिग्री का कोण बनाते हुए उठाएँ और 10-15 श्वास-प्रश्वास करें। इसके बाद पैरों को धीरे-धीरे नीचे करें। इसे तीन बार दोहराएँ।

शवासन : पीठ के बल, पैरों के बीच डेढ़ फुट का अंतर रखकर लेटे और हाथों को शरीर से आधा फुट दूर, कमर-गर्दन सीधी रखें। आँखें बंद करके शरीर ढीला छोड़ें और गहरी 10 श्वास-प्रश्वास करें। फिर 50 साधारण श्वास गिनकर उठ जाएँ

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