हस्तमैथुन तथा गुदामैथुन (Hand practic and anal sex)
जानकारी:-
ये एक प्रकार की गन्दी और बुरी आदते हैं जो कुसंगति तथा सैक्स के बारे में अनुचित सोच-विचार करने के कारण पुरुषों को हो जाती हैं। ये आदतें जब एक बार पड़ जाती हैं तो बड़ी मुश्किल से छूटती हैं। प्राकृतिक मैथुन (संभोग क्रिया) स्त्री तथा पुरुष के संयोग से होता है लेकिन जिस क्रिया में लिंग को हाथ से मलकर वीर्यपात कराया जाता है उसे हस्तमैथुन कहते हैं। जब अस्वाभाविक तरीके से वीर्यपात के लिए और भी अन्य तरीके व्यक्ति काम में लाता हैं जिन्हें गुदामैथुन या पशुमैथुन कहते हैं।
इस प्रकार की गलत आदतों के कारण रोगी व्यक्ति का स्वास्थ्य दिन-प्रतिदिन गिरता जाता है तथा उसे भयंकर दुष्परिणाम भुगतने पड़ते हैं। जब व्यक्ति को इसके दुष्परिणामों के बारे में पता चलता है तो वह बहुत घबरा जाता है। इसके कारण रोगी व्यक्ति को नपुंसकता रोग भी हो जाता है।
हस्तमैथुन तथा गुदामैथुन होने का कारण:-
हस्तमैथुन तथा गुदामैथुन जैसी गलत आदतें पड़ने का सबसे प्रमुख कारण कुछ गलत संगत के व्यक्तियों के साथ रहने तथा सेक्स के प्रति अनुचित सोच और सेक्स की गलत पुस्तकें पढने व सेक्सी फिल्में देखने के कारण होता है।
हस्तमैथुन तथा गुदामैथुन के दुष्परिणाम इस प्रकार हैं:-
हस्तमैथुन तथा गुदामैथुन के कारण रोगी व्यक्ति के शरीर में वीर्य की कमी हो जाती है तथा उसका वीर्य पतला हो जाता है।
हस्तमैथुन तथा गुदामैथुन के कारण रोगी व्यक्ति को स्वप्नदोष भी हो जाता है जिसके परिणाम स्वरूप रोगी व्यक्ति का स्वास्थ्य गिरने लगता है।
इन गलत आदतों के कारण रोगी को कब्ज की शिकायत भी हो जाती है।
हस्तमैथुन तथा गुदामैथुन के कारण रोगी की संभोग क्रिया करने की शक्ति कम हो जाती है या बिल्कुल समाप्त हो जाती है।
इन गलत आदतों के कारण रोगी व्यक्ति को सर्दी तथा खांसी बराबर होती रहती है।
रोगी व्यक्ति को आंखों से कम दिखाई देने लगता है तथा उसकी आंखों के आस-पास गड्ढे बन जाते हैं।
हस्तमैथुन तथा गुदामैथुन के कारण रोगी व्यक्ति की पाचनक्रिया गड़बड़ा जाती है जिसके कारण उसका खाया-पिया शरीर में नहीं लगता है।
हस्तमैथुन तथा गुदामैथुन के कारण रोगी का शरीर दुबला-पतला तथा कमजोर हो जाता है।
रोगी व्यक्ति की याद्दाश्त भी कमजोर हो जाती है।
हस्तमैथुन तथा गुदामैथुन के कारण रोगी के अण्डकोष ढीले होकर नीचे की ओर लटक जाते हैं।
इन गलत आदतों के कारण रोगी के सिर में हर समय दर्द होता रहता है।
रोगी व्यक्ति का लिंग टेढ़ा-मेढ़ा हो जाता है।
हस्तमैथुन तथा गुदामैथुन के कारण रोगी व्यक्ति की त्वचा की चमक तथा सौन्दर्य नष्ट हो जाता है।
हस्तमैथुन तथा गुदामैथुन के कारण रोगी उत्साहहीन और जीवन से निराश हो जाता है।
इन आदतों के कारण रोगी व्यक्ति के चेहरे का रंग उड़ा-उड़ा सा हो जाता है तथा गाल पिचक जाते हैं।
हस्तमैथुन तथा गुदामैथुन के कारण रोगी व्यक्ति के शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाती है जिसके कारण रोगी व्यक्ति को और भी कई रोग होने का डर रहता है जैसे- वीर्य में शुक्राणु की कमी, मिर्गी, पागलपन तथा यक्ष्मा (टी.बी.) आदि।
हस्तमैथुन तथा गुदामैथुन की गलत आदतों के रोगियों का प्राकृतिक चिकित्सा से उपचार:-
हस्तमैथुन तथा गुदामैथुन की आदतों को छोड़ने के लिए सबसे पहले रोगी व्यक्ति को गलत संगति के व्यक्तियों से दूर रहना चाहिए तथा इन आदतों को छोड़ने के लिए दृढ़ निश्चिय करना चाहिए और फिर अपना उपचार प्राकृतिक चिकित्सा से करना चाहिए।
इन आदतों को छोड़ने के लिए व्यक्ति को अपने आप में आत्मनियंत्रण तथा मानसिक शक्ति की वृद्धि करनी चाहिए।
रोगी व्यक्ति को अच्छी संगति के व्यक्तियों के साथ घुलना-मिलना चाहिए तथा उनकी अच्छी आदतों को अपनाना चाहिए।
इन आदतों से पीड़ित रोगी को अपनी गलत आदतों को छोड़कर प्रतिदिन सुबह के समय में हरी घास पर टहलना चाहिए तथा व्यायाम करना चाहिए।
रोगी व्यक्तियों को हस्तमैथुन तथा गुदामैथुन की आदतों को छोड़कर सुबह के समय उठकर सूर्य नमस्कार तथा व्यायाम करना चाहिए तथा अच्छे विचारों को अपने मन मस्तिष्क में लेना चाहिए।
रोगी व्यक्ति को गलत आदतें छोड़कर सप्ताह में एक दिन उपवास रखना चाहिए। रोगी व्यक्ति को नमक का सेवन बिल्कुल भी नहीं करना चाहिए तथा एकान्त से बचना चाहिए और सच्चे हृदय से ईश्वर को याद करना चाहिए।
यदि रोगी व्यक्ति को कब्ज की बीमारी हो जाये तो उसे इस रोग को ठीक करने के लिए प्राकृतिक चिकित्सा से उपचार करना चाहिए।
रोगी व्यक्ति को अपनी पाचनशक्ति बढ़ाने के लिए प्रतिदिन आसन तथा व्यायाम करने चाहिए।
हस्तमैथुन तथा गुदामैथुन से पीड़ित व्यक्ति को अपनी गलत आदतों को छोड़कर हल्का तथा शीघ्र पचने वाले भोजन करना चाहिए तथा अपने भोजन में फलों के रस का अधिक उपयोग करना चाहिए। व्यक्ति को ठंडे जल से स्नान करना चाहिए तथा पेशाब-पाखाना नियमित रूप से समय पर करना चाहिए और इन्द्रियों को प्रतिदिन ठंडे जल से धोना चाहिए।
हस्तमैथुन तथा गुदामैथुन की आदतों को छोड़कर व्यक्ति को सुबह और शाम के समय में मेहनस्नान करना चाहिए।
हस्तमैथुन तथा गुदामैथुन की आदतों को छोड़कर व्यक्ति को सुबह के समय में गाय का दूध पीना चाहिए तथा फलों का सेवन करना चाहिए। व्यक्ति को शाम के समय में उबली हुई साग-सब्जियां और सलाद का सेवन करना चाहिए।
व्यक्ति को अपनी हस्तमैथुन तथा गुदामैथुन की आदतों को छोड़ देना चाहिए तथा सैक्स के प्रति सारी अनुचित क्रियाएं छोड़ देनी चाहिए और इसके बारे में अधिक नहीं सोचना चाहिए। फिर अपने स्वास्थ्य को ठीक करने के लिए प्राकृतिक चिकित्सा से उपचार करना चाहिए। रोगी व्यक्ति को रात के समय में अपनी कमर पर गीली पट्टी करनी चाहिए तथा पेड़ू पर मिट्टी की पट्टी करनी चाहिए। इसके फलस्वरूप रोगी व्यक्ति के स्वास्थ्य में सुधार हो जाता है और उसकी शारीरिक कमजोरी भी दूर हो जाती है।
हस्तमैथुन तथा गुदामैथुन की आदतों को छोड़कर व्यक्ति को सुबह तथा शाम को सर्वांगासन, शीर्षासन, अंगूठापादासन, धनुरासन तथा सर्पासन करना चाहिए और दिन में 2-3 बार गहरी सांस लेने का व्यायाम करना चाहिए। यह क्रिया यदि रोगी व्यक्ति प्रतिदिन करें तो उसके स्वास्थ्य में सुधार हो जाता है तथा रोगी व्यक्ति के शरीर की सैक्स कमजोरी भी दूर हो जाती है।
जानकारी-
इस प्रकार से इन गलत आदतों को छोड़कर प्राकृतिक चिकित्सा से उपचार करने से रोगी व्यक्ति के स्वास्थ्य में सुधार हो जाता है और उसके शरीर की कमजोरी दूर हो जाती है।