स्वप्नदोष (Wet dream)
जानकारी:-
यह रोग एक प्रकार का पुरुषों का रोग है। जब यह रोग किसी व्यक्ति को हो जाता है तो रात में या जब व्यक्ति सो रहा होता है उस समय उसके लिंग में उत्तेजना होकर वीर्यपात हो जाता है। यदि स्वप्नदोष रोग के कारण महीने में 3 से 4 बार वीर्यपात हो जाता है तो रोगी के सिर में दर्द तथा बदन में सुस्ती नहीं होती है। लेकिन जब वीर्यपात इससे अधिक बार रात के समय में हो जाता है तो रोगी व्यक्ति का शरीर कमजोर होने लगता है। इस रोग को जल्दी ही ठीक कराना चाहिए नहीं तो रोगी व्यक्ति के स्वास्थ्य पर बहुत बुरा असर पड़ता है तथा इसके कारण शरीर में और भी कई प्रकार के रोग हो सकते हैं।
स्वप्नदोष होने का कारण:-
इस रोग के होने का सबसे प्रमुख कारण शरीर में विजातीय द्रव्य (दूषित द्रव) का जमा हो जाना होता है, जब यह दूषित द्रव शरीर के स्नायुजाल में रोग उत्पन्न करता है तो यह रोग हो जाता है।
जो व्यक्ति सेक्स के बारे में अधिक सोचता है तथा अनुचित ढंग से सैक्स क्रिया करता है उसे यह रोग हो जाता है।
कुछ व्यक्ति दिन के समय में सैक्स के बारे में अधिक सोचते हैं तथा सैक्स की अनुचित क्रिया करते हैं जिसके कारण उन्हें सैक्स के बारे में सपने आते हैं जिसके कारण रात को सोते समय उनमें अधिक उत्तेजना हो जाती है और उन व्यक्तियों का वीर्यपात हो जाता है।
शरीर में अधिक कमजोरी आने के कारण भी यह रोग हो सकता है।
हस्तमैथुन करने के कारण भी यह रोग हो सकता है।
स्वप्नदोष रोग का प्राकृतिक चिकित्सा से उपचार:-
स्वप्नदोष रोग से पीड़ित रोगी को प्राकृतिक चिकित्सा से उपचार करने के लिए सबसे पहले रोगी व्यक्ति को इस रोग के होने के कारणों को दूर करना चाहिए। इसके बाद इस रोग को इलाज प्राकृतिक चिकित्सा से करना चाहिए।
स्वप्नदोष रोग को ठीक करने के लिए रोगी व्यक्ति को 24 घण्टे तक उपवास रखना चाहिए तथा उपवास रखने के समय में कागजी नींबू के रस को पानी में मिलाकर पीना चाहिए। इसके बाद दो से तीन दिनों तक फलों का रस पीना चाहिए। उपवास रखने के समय में सुबह तथा शाम को रोगी व्यक्ति को एनिमा क्रिया करके अपने पेट को साफ करना चाहिए। जिसके फलस्वरूप शरीर का दूषित जल शरीर के बाहर हो जाता है और स्वप्नदोष रोग जल्दी ही ठीक हो जाता है।
स्वप्नदोष रोग से पीड़ित रोगी को सुबह के समय में गाय का दूध पीना चाहिए। फल का सेवन करना चाहिए तथा शाम के समय में उबली हुई साग-सब्जियां और सलाद का सेवन करना चाहिए। इससे रोगी व्यक्ति को बहुत अधिक लाभ मिलता है।
स्वप्नदोष रोग से पीड़ित रोगी को यदि पेट में कब्ज बन रहा हो तो कब्ज को ठीक करने के लिए व्यक्ति को एनिमा क्रिया करनी चाहिए। जिसके फलस्वरूप स्वप्नदोष रोग ठीक हो जाता है।
स्वप्नदोष रोग से पीड़ित रोगी को चोकरयुक्त आटे की रोटी का सेवन करना चाहिए तथा एक दो प्रकार की उबली हुई साग-सब्जियां और सलाद का सेवन करना चाहिए।
स्वप्नदोष रोग से पीड़ित रोगी को सुबह के समय में शौच करना चाहिए तथा इसके बाद अपने पेड़ू तथा जननेन्द्रिय पर मिट्टी की गीली पट्टी 45 मिनट तक लगानी चाहिए, इसके बाद कम से कम 10 मिनट तक कटिस्नान करना चाहिए। इसके बाद दोपहर के समय में अपने रीढ़ पर कपडे़ की गीली पट्टी 30 मिनट के लिए रखना चाहिए। फिर रोगी को दूसरे दिन 10 मिनट तक मेहनस्नान करना चाहिए। इस प्रकार कुछ दिनों तक उपचार करने से स्वप्नदोष रोग ठीक हो जाता है।
रोगी व्यक्ति को सैक्स के प्रति सारी अनुचित क्रिया छोड़ देनी चाहिए और इसके बारे में अधिक नहीं सोचना चाहिए। फिर इसके बाद अपना इलाज प्राकृतिक चिकित्सा से करना चाहिए। रोगी व्यक्ति को रात के समय में अपने कमर पर गीली पट्टी करनी चाहिए तथा पेडू पर मिट्टी की पट्टी करनी चाहिए।
यदि रोगी व्यक्ति को हस्तमैथुन करने की आदत पड़ गई हो तो उसे यह क्रिया जल्दी ही छोड़ देनी चाहिए और फिर अपना उपचार प्राकृतिक चिकित्सा से करना चाहिए तभी यह रोग ठीक हो सकता है।
स्वप्नदोष रोग से पीड़ित रोगी को आसमानी या हल्के नीले रंग की कांच की बोतल के सूर्यतप्त जल को कम से कम 28 मिलीलीटर की मात्रा प्रतिदिन सेवन करना चाहिए तथा रात के समय में सोने से पहले हल्के नीले रंग की बोतल के सूर्यतप्त तेल की मालिश अपने मेरुदंड के निचले हिस्से पर तथा हृदय पर कम से कम पांच मिनट तक करना चाहिए।
रोगी व्यक्ति को अंडकोष तथा जननेन्द्रियों को पांच मिनट तक किसी ठंडे पानी से भरे हुए बर्तन में रखना चाहिए तथा फिर पानी से इसे निकालकर पोंछ लें और पैरों को घुटनों तक, बांहों को कोहनियों तक, गले के पिछले भाग को तथा नाभि को ठंडे पानी से अच्छी तरह धोकर तौलिये से पोछना चाहिए। इसके बाद एक गिलास गरम पानी में आधा कागजी नींबू का रस निचोड़कर-पीकर दाहिनी करवट लेट जाना चाहिए। रात के समय में यदि नींद खुल जाए तो ठंडे पानी से भीगे तौलिये से पूरे शरीर को पोछना चाहिए और इसके बाद दुबारा सो जाना चाहिए। इस प्रकार से उपचार करने से यह रोग जल्दी ही ठीक हो जाता है।
रोगी व्यक्ति को प्रतिदिन स्नान करना चाहिए तथा कम से कम पांच मिनट तक गर्दन के पीछे तथा रीढ़ पर ठंडे पानी की धार गिरने देना चाहिए।
स्वप्नदोष रोग को ठीक करने के लिए रोगी व्यक्ति को सुबह तथा शाम को सर्वांगासन, शीर्षासन, अंगूठापादासन, धनुरासन तथा सर्पासन करना चाहिए और दिन में दो से तीन बार गहरे सांस का व्यायाम करना चाहिए। यह क्रिया यदि रोगी व्यक्ति प्रतिदिन करें तो उसका स्वप्नदोष रोग कुछ ही दिनों में ठीक हो जाता है।