मांगलिक दोष के लक्षण

manglik dosha and marital life

मांगलिक दोष और वैवाहिक जीवन – मांगलिक दोष | Manglik Dosha and Marital Life – manglik dosh

  वैदिक ज्योतिष में मंगल को लग्न, द्वितीय, चतुर्थ, सप्तम, अष्टम और द्वादश भाव में दोष पूर्ण माना जाता है।इन भावो में उपस्थित मंगल वैवाहिक जीवन के लिए अनिष्टकारक कहा गया है।जन्म कुण्डली में इन पांचों भावों में मंगल के साथ जितने क्रूर ग्रह बैठे हों मंगल उतना ही दोषपूर्ण होता है जैसे दो क्रूर […]

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mythological accounts

पौराणिक वृत्यांत – मांगलिक दोष | Mythological accounts – manglik dosh

  मंगल ग्रह की उत्पत्ति का पौराणिक वृत्यांत स्कंद पुराण के अवंतिका खण्ड में आता है की एक समय उज्जयिनी पुरी में अंधक नाम से प्रसिद्ध दैत्य राज्य करता था | उसके महापराक्रमी पुत्र का नाम कनक दानव था | एक बार उस महाशक्तिशाली वीर ने युध्य के लिए इन्द्र को ललकारा तब इन्द्र ने

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mantra of mangal dev

मंगल देव का मंत्र – मांगलिक दोष | Mantra of Mangal Dev – manglik dosh

  ऊं नमोअर्हते भगवते वासुपूज्य0 तीर्थंकराय षण्मुरखयक्ष | गांधरीयक्षी सहिताय ऊं आं क्रों ह्रीं ह्र: कुंज महाग्रह मम दुष्टहग्रह, रोग कष्ट् निवारणं सर्व शान्तिं च कुरू कुरू हूं फट् || 11000 जाप्य || मध्यकम यंत्र- ऊं आं क्रौं ह्रीं श्रीं क्लीं भौमारिष्टभ निवारक श्री वासुपूज्यं जिनेन्द्रा य नम: शान्तिं कुरू कुरू स्वाकहा || 10000 स्वाहहा

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