अखंड ब्रह्मचर्य

self control

आत्मसंयम – ब्रह्मचर्य विज्ञान | Self-control – brahmacharya vigyan

  जिसने जीभ को नहीं जीता वह विषय वासना को नहीं जीत सकता। मन में सदा यह भाव रखें कि हम केवल शरीर के पोषण के लिए ही खाते हें, स्वाद के लिए नहीं। जैसे पानी प्यास बुझाने के लिए ही पीते है, वैसे ही अन्न केवल भूख मिटाने के लिए ही खाना चाहिए। हमारे […]

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thread ceremony

उपनयन संस्कार – ब्रह्मचर्य विज्ञान | Thread ceremony – brahmacharya vigyan

  इस संस्कार में यज्ञोपवीत या जनेऊ धारण कराया जाता है। इसके धारण कराने का तात्पर्य यह है कि बालक अब पढ़ने के लायक हो गया है, और उसे आचार्य के पास विद्याध्ययन के लिए व्रत सूत्र में बांधना है। यज्ञोपवीत में तीन सूत्र होते हैं जो तीन ऋणों के सूचक हैं। ब्रह्मचर्य को धारण

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power of restraint

संयम की शक्ति – ब्रह्मचर्य विज्ञान | Power of restraint – brahmacharya vigyan

  ब्रह्मचर्य का ऊँचे में ऊँचा अर्थ यही हैः ब्रह्म में विचरण करना। जो ब्रह्म में विचरण करे, जिसमें जीवनभाव न बचे वही ब्रह्मचारी है। ‘जो मैं हूँ वही ब्रह्म है और जो ब्रह्म है वही मैं हूँ….’ ऐसा अनुभव जिसे हो जाये वही ब्रह्मचर्य की आखिरी ऊँचाई पर पहुँचा हुआ परमात्मस्वरूप है, संतस्वरूप है।

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ear piercing ceremony

कर्णवेध संस्कार – ब्रह्मचर्य विज्ञान | Ear-piercing ceremony – brahmacharya vigyan

  कान में छेद कर देना कर्णवेध संस्कार है। गृह्यसूत्रों के अनुसार यह संस्कार तीसरे या पांचवे वर्ष में कराना योग्य है। आयुवेद के ग्रन्थ सुश्रुत के अनुसार कान के बींधने से अन्त्रवृद्धि (हर्निया) की निवृत्ति होती है। दाईं ओर के अन्त्रवृद्धि को रोकने के लिए दाएं कान को तथा बाईं ओर के अन्त्रवृद्धि को

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understanding of celibacy

ब्रह्मचर्य की समझ – ब्रह्मचर्य विज्ञान | Understanding of celibacy – brahmacharya vigyan

  तब ब्रह्मचर्य की चर्चा छिड़ने पर उन्होंने कहाः “कुछ दिन पहले एक भारतीय युवक मुझसे मिलने आया था। वह करीब दो वर्ष से अमेरिका में ही रहता है। वह युवक ब्रह्मचर्य का पालन बड़ी चुस्ततापूर्वक करता है। एक बार वह बीमार हो गया तो वहाँ के डॉ. को बताया। तुम जानते हो डॉक्टर ने

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chudakram ceremony

चूड़ाकर्म संस्कार – ब्रह्मचर्य विज्ञान | Chudakram ceremony – brahmacharya vigyan

  इसका अन्य नाम मुण्डन संस्कार भी है। रोगरहित उत्तम समृद्ध ब्रह्मगुणमय आयु तथा समृद्धि-भावना के कथन के साथ शिशु के प्रथम केशों के छेदन का विधान चूडाकर्म अर्थात् मुण्डन संस्कार है। यह जन्म से तीसरे वर्ष या एक वर्ष में करना चाहिए। बच्चे के दांत छः सात मास की आयु से निकलना प्रारम्भ होकर

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secret of concentration

एकाग्रता का रहस्य – ब्रह्मचर्य विज्ञान | Secret of concentration – brahmacharya vigyan

  स्वामी विवेकानन्द हृषिकेश के बाद मेरठ आये। अपने स्वास्थ्य-सुधार के लिए विश्राम हेतु वे मेरठ में रुके। विवेकानंदजी को अध्ययन का अत्यंत शौक था। अध्यात्म एवं दर्शनशास्त्र की पुस्तकें वे बड़े चाव से पढ़ते थे। उनके एक शिष्य अखंडानंदजी उनके लिए स्थानीय पुस्तकालय से पुस्तके ले आया करते थे। एक बार विवेकानन्दजी ने प्रसिद्ध

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annaprashan sanskar

अन्नप्राशन संस्कार – ब्रह्मचर्य विज्ञान | Annaprashan Sanskar – brahmacharya vigyan

  जीवन में पहले पहल बालक को अन्न खिलाना इस संस्कार का उद्देश्य है। पारस्कर गृह्यसूत्र के अनुसार छठे माह में अन्नप्राशन संस्कार होना चाहिए। कमजोर पाचन शिशु का सातवे माह जन्म दिवस पर कराए। इसमें ईश्वर प्रार्थना उपासना पश्चात शिशु के प्राण-अपानादि श्वसन व्यवस्था तथा पंचेन्द्रिय परिशुद्धि भावना का उच्चारण करता घृतमय भात पकाना

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benefits of semen protection

वीर्यरक्षा से लाभ – ब्रह्मचर्य विज्ञान | Benefits of semen protection – brahmacharya vigyan

  ► वीर्यरक्षा से कितने लाभ होते हैं वीर्यरक्षा से कितने लाभ होते हैं यह बताते हुए डॉ. मोलविल कीथ (एम.डी.) कहते हैं- “वीर्य तुम्हारी हड्डियों का सार, मस्तिष्क का भोजन, जोड़ों का तेल और श्वास का माधुर्य है। यदि तुम मनुष्य हो तो उसका एक बिन्दु भी नष्ट मत करो जब तक कि तुम

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evacuation ceremony

निष्क्रमण संस्कार – ब्रह्मचर्य विज्ञान | Evacuation ceremony – brahmacharya vigyan

  निष्क्रमण का अर्थ है बाहर निकलना। घर की अपेक्षा अधिक शुद्ध वातावरण में शिशु के भ्रमण की योजना का नाम निष्क्रमण संस्कार है। बच्चे के शरीर तथा मन के विकास के लिए उसे घर के चारदीवारी से बाहर ताजी शुद्ध हवा एवं सूर्यप्रकाश का सेवन कराना इस संस्कार का उद्देश्य है। गृह्यसूत्रों के अनुसार

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