balatisara on raktatisara

बालातिसार एवं रक्तातिसार – घरेलू उपचार – balatisara on raktatisara – gharelu upchar

रक्तातिसार

लक्षण :

रक्तातिसार (खूनी दस्त) रोग में बच्चे को पीला, नीला मल (टट्टी) या उसके साथ खून आता है। इससे शरीर में पानी की कमी हो जाती है। दूसरे लक्षण हैं- पिपासा (बार-बार प्यास लगना), जलन की अनुभूति (शरीर में जलन होना), मूर्च्छा (बेहोशी) और गुदापाक।

बालातिसार

लक्षण :

बच्चों का मल गुलाबी, पीला, लाल या सफेद रंग का होता है तथा मल त्याग करते समय आवाजें भी निकलती हैं तथा मल गांठदार, चिकनाईयुक्त, अम्लीय, साबुन के झाग के समान और तैलीय भी हो सकता है। इस रोग में बच्चा प्यास, जलन और बेहोशी से भी ग्रसित हो जाता है। मलद्वार (टट्टी) करने की जगह के चारों ओर घाव और पका घाव भी हो सकता है।

बालातिसार एवं रक्तातिसार का विभिन्न औषधियों से उपचार :

अजवायन:

अजवायन का 1 चम्मच रस रोजाना दो बार देने से दस्त में काफी लाभ होता है।

नागरमोथा:

लगभग 3 से 6 ग्राम इन्द्रयव को नागरमोथा के साथ काढ़ा बनाकर और उसमें शहद मिलाकर सुबह-शाम सेवन करने से बच्चों का रक्तातिसार (खूनी दस्त) दूर हो जाता है।

ईश्वरमूल:

बालातिसार (बच्चों का दस्त) में 3 से 6 ग्राम सर्पगंधा (छोटी चन्दन) के फल का चूर्ण, ईश्वरमूल के साथ देने से आराम आता है।

चीनी:

बच्चों के रक्तयुक्त आंव (दस्त में खून के साथ आंव आना) में लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग से लगभग आधा ग्राम चीनी मिलाकर सेवन करने से बच्चों को आराम आता है।

शहद:

लगभग 1 से 3 ग्राम तेजपत्ता का चूर्ण बच्चों को शहद और अदरक के रस के साथ देने से बच्चों के पेट के सभी रोगों में आराम आता है।

बालातिसार एवं रक्तातिसार – balatisara on raktatisara – घरेलू उपचार – gharelu upchar

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