कारण :
सूखा रोग (रिकेट्स) ज्यादातर उन बच्चों में होता है, जिनके शरीर में विटामिन `डी´ और कैल्शियम की कमी होती है। यदि पाचन-क्रिया (भोजन हजम करने की क्रिया) खराब होती है, तो बच्चों को दूध और अन्य ठोस पदार्थ आसानी से नहीं पच पाते हैं। ऐसी हालत में बच्चे का शरीर बिल्कुल सूख जाता है और कमर भी बिल्कुल पतली पड़ जाती है। बच्चा हर समय रोता रहता है। उसे पतले दस्त होने लगते हैं तथा दोनों ओर के स्तनों का मांस भी सूखता चला जाता है। त्वचा में झुरियां पड़ जाती हैं। यह रोग कुपोषण (कमजोरी), जिगर की खराबी और बच्चे को डराने के कारण हो जाता है।
लक्षण :
अगर बच्चा एक साल का हो जाने पर भी खडे़ होने में असमर्थ (खड़ा न हो सके) हो तो ऐसी हालत में बच्चे को सूखा रोग (रिकेट्स) होने की संभावना ज्यादा रहती है। बच्चे को उठने या बैठने में परेशानी, उदर विकार (पेट की बीमारी), खांसी-जुकाम, माथे पर पसीना, शिरगत तालु या कलान्तराल (फोन्टेनेल) का देर से भरना, दांतों का सफेद होना या दूध के दांतों का देर से निकलना, उदर (पेट) में गैस भरना, हाथ-पैरों की वक्रता (टेढ़ा-मेढ़ा) होना, विकृत वक्ष (छाती में खराबी) इस रोग के सामान्य लक्षण हैं। यह रोग पांच प्रकार का माना गया है।
पहले प्रकार का रोग : सूखा रोग मिथ्या आहार-विहार (दूषित भोजन के कारण) के कारण होता है। इस भोजन से वातादि दोष (पेट में गैस) मां के दूध को भी दूषित कर देते हैं। उस दूध के पीने का असर बच्चे के शरीर रस, खून मांस, मेद (पेट) आदि पर पड़ता है और बच्चा सूखने लगता है।
दूसरे प्रकार का रोग : बच्चे के बढ़ने के लिए अच्छे भोजन की जरूरत पड़ती है। मां के दूध में ये तत्व पूरी मात्रा में नहीं होते हैं अथवा अन्न और दूध दोनों का सेवन करने वाले बच्चों को पौष्टिक तत्त्वों से युक्त भोजन नहीं मिलता और रोगी सूखने लगता है।
तीसरे प्रकार का रोग : फेफड़ों के विकार बच्चे के रोगों का कारण उसे कफ (बलगम), खांसी, प्रभृति विकारों की वृद्धि होना है। सही उपचार न हो पाने के कारण रोग बढ़ते जाते हैं और बच्चे का शरीर सूखता चला जाता है।
चौथे प्रकार का सूखा रोग : यह रोग अक्सर दूषित अन्न खाने वाले बच्चों को होता है। खराब भोजन के करने से किसी बुरे रोग का लगना और सही उपचार न हो पाने के कारण रोग पुराना हो जाने के कारण शरीर के अंगों का खराब हो जाना इस रोग का मुख्य कारण हैं।
विभिन्न औषधियों से उपचार:
टमाटर:
बच्चे को कच्चे लाल टमाटर का रस एक महीने तक रोजाना पिलाने से सूखा रोग (रिकेट्स) में आराम आता है और बच्चा सेहतमंद और अच्छा हो जाता है। सूखा रोग में टमाटर का सेवन बच्चों के लिए बहुत ही लाभकारी है।
अंगूर:
अंगूर का रस जितना ज्यादा हो सके बच्चे को पिलाना लाभकारी है। इस रस को टमाटर के रस के साथ मिलाकर पिलाने से भी बच्चा सेहतमंद और तन्दुरुस्त होता है।
बादाम:
रात को तीन बादाम भिगोकर और सुबह उसे पीसकर दूध में मिलाकर बच्चे को पिलाने से सूखा रोग (रिकेट्स) ठीक हो जाता है।
अमचूर:
अमचूर को भिगोकर उसमें शहद मिलाकर रोजाना दो बार बच्चे को चटाने से सूखा रोग में आराम आता है।
बैंगन:
बैंगन को अच्छी तरह से पीसकर उसका रस निकालकर उसके अंदर थोड़ा सा सेंधानमक मिला लें। इस एक चम्मच रस को रोजाना दोपहर के भोजन के बाद कुछ दिनों तक बच्चे को पिलाने से सूखा रोग (रिकेट्स) में आराम आता है।
नागरमोथा:
नागरमोथा, पीपल, अतीस और काकड़ासिंगी को बराबर मात्रा में लेकर पीसकर चूर्ण बना लें। फिर इस चूर्ण में से एक चुटकी चूर्ण लेकर शहद के साथ बच्चे को चटाने से बुखार, अतिसार (दस्त), खांसी तथा सूखा रोग (रिकेट्स) दूर हो जाता है।