पश्चिमी देशों में होमोसेक्सुअलिटी, बार-बार नई स्त्रियों और नए पुरूष को बदलना, समलैंगिक सुमुदाय होना, पार्टनर बदलने की प्रवृति इत्यादि सभी आम बात है, लेकिन भारतीय समाज में यदि ऐसा कुछ भी होता है तो यह भारतीय संस्क़ति के खिलाफ माना जाता है हाल ही में होमोसेक्सुअलिटी को कानूनन मान्यता देने के लिए क्या कुछ नहीं किया गया। हालांकि होमोसेक्सुअलिटी को एक बीमारी भी माना गया है।
- मेडीकल साइंस में होमोसेक्सुअलिटी को एक मानसिक बीमारी माना गया है। दरअसल मेडीकल सांइस की मानें तो दिमाग के अंदर पाई जाने वाली पिट्यूटरी नामक ग्रंथि जो सेक्स हार्मोंस के रिलीज का नियंत्रित करती है, कई बार ये हार्मोंस अधिक मात्रा में तो कभी कम मात्रा में रिलीज होते हैं जिससे विपरीत सेक्स के प्रति आकर्षण होता है।
- इसके अतिरिक्त दिमाग के अंदर किसी नयूरोंस में कोई खराबी आने से भी हार्मोन का संतुलन बिगड़ जाता है जिससे होमोसेक्सुअलिटी की भावना उत्पन्न हो जाती है।
- कई बार होमोसेक्सुअलिटी का कारण व्यक्ति के जींस भी होते हैं यानी जीन्स भी सेक्स आचरण को निर्धारित करता है। हमारे आचरण, व्यवहार इत्यादि हमारे जीन्स के कारण प्रभावी होते हैं।
- ऐसा नहीं है कि होमोसेक्सुअलिटी का इलाज संभव नहीं है इसका इलाज है लेकिन हर परिस्थति में ऐसा संभव नहीं। यानी सबकी सिचुएशंस एक जैसी नहीं होती, इसीलिए होमोसेक्सुअलिटी के कारणों का पता लगाकर ही इसका इलाज संभव है।
- शोधों की मानें तो होमोसेक्सुअलिटी एड्स के लिए काफी हद तक जिमेदार है। आमतौर पर यदि यदि कोई लड़का किसी ऐसे लड़की के साथ सेक्स करे जिसे एड्स हो तो एड्स होने की लगभग 35 फीसदी सम्भावना होती है, वहीं दूसरी और यदि एक लड़का किसी एड्स पीड़ित लड़के के साथ सेक्स करे तो एड्स होने की 100 फीसदी आशंका होती है।
- दरअसल, होमोसेक्सुअलिटी या लेस्बियन होना कोई बुरी बात नहीं लेकिन इसे प्रकृति के विपरीत माना जाता है।