पौरुष ग्रंथि यानी प्रोस्टेट, पुरुषों के जनानांगों का अहम हिस्सा होता है। यह अखरोट के आकार का होता है। यह ग्रंथि सीनम निर्माण में मदद करती है, जिससे सेक्सुअल क्लाइमेक्स के दौरान वीर्य आगे जाता है। इस ग्रंथि में सामान्य बैक्टीरियल इंफेक्शन से लेकर कैंसर जैसे गंभीर रोग हो सकते हैं।
बात जब प्रोस्टेट में परेशानी की आती है, तो पुरुषों में सामान्य तौर पर दो रोग देखे जाते हैं। इनमें से पहला, प्रोस्टेटिक हाईपेथ्रोफी (बीपीएच) होता है और दूसरे में प्रोस्टेट कैंसर हो सकता है। पहले प्रकार की बीमारी में प्रोस्टेट का आकार सामान्य से बड़ा हो जाता है, जिस कारण मूत्रमार्ग संकरा हो जाता है। और व्यक्ति को पेशाब करने में परेशानी ओर दर्द हो सकता है। वहीं दूसरी प्रकार की बीमारी यानी प्रोस्टेट कैसर में प्रोस्टेट ग्रंथि कैंसरग्रस्त हो जाती है और अगर सही समय पर इसका इलाज न किया जाए, तो यह आसपास के अंगों को भी अपनी चपेट में ले लेती है।
प्रोस्टेट के किसी भी रोग का इलाज करने की पहली मांग है कि आप प्रोस्टेट का आकार बढ़ने पर पूरी नजर रखें। प्रोस्टेट के आकार में बढ़ोत्तरी को बीपीएच कहा जाता है। अगर आपके डॉक्टर को प्रोस्टेट के आकार में असामान्य बढ़ोत्तरी महसूस करता है, तो वह इसे रोकने के लिए त्वरित कदम उठा सकता है।
प्रोस्टेट ग्रंथि में असामान्य बढ़ोत्तरी होने पर डॉक्टर 5-एआरआई (5 अल्फा-रेड्यूक्टेस इनहिबिटर्स) दवायें दे सकता है। ऐसा माना जाता है कि प्रोस्टेट ग्रंथि टेस्टोस्टेरोन में डिहाइड्रोटेस्टोस्टेरोन (डीएचटी) का स्राव करती है। यही स्राव प्रोस्टेट ग्रंथि के अधिक आकार का कारण होता है। 5-एआरआई दवायें प्रोस्टेट में डीएचटी का स्तर कम कर देती हैं, जिससे उनका आकार और बढ़ने से रुक जाता है।
दूसरी तरह की दवाओं में पुरुषों में पेशाब के समय होने वाले दर्द को कम करने के लिए अल्फा ब्लॉर्क्स दिये जाते हैं। ये दवायें यूरिनेरी ब्लैडर की मांसपेशियों को आराम पहुंचाती हैं, जिससे मूत्र, यूरिनेरी ब्लैडर से होता हुआ मूत्रमार्ग में आसानी से प्रवाहित हो जाता है। ये दवायें प्रोस्टेट के आकार में कोई परिवर्तन नहीं करतीं, बल्कि मूत्र में होने वाले दर्द को कम करने में मदद करती है।
सुरक्षित सर्जरी के लिए व्यक्ति को बीपीएच के लक्षणों को कम करने की जरूरत होती है। कुछ गंभीर मामलों में प्रोस्टेट को निकालने की जरूरत पड़ सकती है। और वहीं कुछ अन्य मामलों में लिम्फ नोड्स को भी पूरा बाहर निकालना पड़ता है। इसके संभावित दुष्परिणामों में रक्त स्राव, संक्रमण, मूत्र-असंयम और नपुंसकता आदि शामिल हैं। सर्जरी की नयी रोबोटिक तकनीक द्वारा छोटे से चीरे से ही इलाज किया जा सकता है। कैंसर को उसकी शुरुआती अवस्था में क्रायोसर्जरी के जरिये ठीक किया जा सकता है। इसमें कैंसर कोशिकाओं को फ्रीज और विघटन के जरिये नष्ट कर दिया जाता है। इसके साथ ही कैंसर के लिए हार्मोन और रेडिएशन ट्रीटमेंट की भी जरूरत पड़ सकती है।
