yaun sancharit bimari hai syphilis

यौन संचारित बीमारी है सिफलिस – गुप्त रोग ज्ञान – yaun sancharit bimari hai syphilis – gupt rog gyan

सिफलिस एक व्‍यक्ति से दूसरे व्‍यक्ति में फैलने वाली यौन संचारित बीमारी है। सिफलिस की शुरुआत ट्रेपोनेमा पल्लिडम नामक जीवाणु से होती है। यदि गर्भवती महिला को यह बीमारी है, तो यह उसके गर्भ में पल रहे बच्‍चे को भी हो सकती है।

यदि किसी आदमी को सिफलिस है, तो उससे शारीरिक संबंध बनाने वाली महिला को भी यह बीमारी हो सकती है। कुछ लोगों का मानना है कि सिफलिस शौचालय के बैठने के स्थान, दरवाजे की मूठ, तालाब, नहाने के गर्म टब, दूसरे के कपड़े पहनने से भी हो जाती है। ऐसा मानना बिल्‍कुल गलत है। सिफलिस इसलिए भी घातक है क्‍योंकि कई व्‍यक्तियों में वर्षो तक इसके लक्षण दिखाई नहीं देते। इस लेख के जरिए हम आपको सिफलिस के बारे में विस्‍तार से बताते हैं।
जब आप किसी सिफलिस से संक्रमित किसी व्‍यक्ति से संबंध बनाते हैं, तो यह बीमारी 9 से 10 दिन बाद शुरू हो जाती है। इसमें होने वाला घाव संक्रमण के स्थान पर फुन्सी यानी सूजन के साथ शुरू होता है। कुछ दिनों बाद उस जगह पर छाला बन जाता है। महिलाओं में घाव योनि के बाहर या अन्दर या गर्भाशयग्रीवा में हो सकता है।

पुरुषों में सबसे ज्यादा लिंग के ऊपरी सिरे पर होता है। मुंह के रास्ते यौन संबंध होने पर यह मुंह में भी हो सकता है। इसमें होने वाला छाला काफी ठोस और दर्द रहित होता है। इसमें होने वाले घाव में बड़ी तादाद में जीवाणु होते हैं, जो सूक्ष्मदर्शी से ही दिखाई देते हैं। सिफलिस के पहला, दूसरा और अंतिम तीन स्‍तर होते हैं।
सिफलिस के प्रारंभिक स्‍तर में जननांग के आस-पास एक या कई फुंसियां दिखाई देती हैं। सिफलिस संक्रमण के शुरूआती लक्षण में औसतन 21 दिन लग जाते हैं। यह फुंसी सख्त, गोल, छोटी और दर्द रहित होती हैं। ये फुंसियां तीन से छह हफ्ते तक रहती हैं और बिना किसी उपचार के ठीक हो जाती हैं। यदि इनका उपचार नहीं किया जाता तो यह संक्रमण दूसरे स्‍तर में भी जा सकता है।
सिफलिस के दूसरे स्‍तर में त्वचा में दाद हो जाते हैं, और इनमें आमतौर पर खुजली नहीं होती। हथेली और पांव के तालुओं पर हुआ दाद खुरदरा, लाल या भूरे रंग का होता है। इस तरह के दाद शरीर के अन्‍य भागों में भी पाए जा सकते हैं। दाद के अलावा माध्यमिक सिफलिस में बुखार, लसिका ग्रंथि में सूजना, गले की खराश, किसी अंग से बाल झड़ना, सिरदर्द, वजन कम होना, मांस पेशियों में दर्द और थकावट के लक्षण भी दिखाई देते हैं।
सिफलिस के अंतिम स्‍तर का असर स्नायु, आंख, रक्‍त वाहिका, जिगर, अस्थि और जोड़ जैसी भीतरी इंद्रियों पर पड़ता है। इसका असर हाल में न दिखाई देकर लंबी अवधि में दिखाई देता है। अंतिम स्तर के लक्षणों में मांस पेशियों परेशानी, पक्षाघात, सुन्नता, धीरे-धीरे आंख की रोशनी जाना और याददाश्‍त पर असर पड़ना (डेमेनशिया) भी शामिल हैं।

सिफलिस की घाव में संक्रमण ज्‍यादा होता है, इसलिए इसकी जांच करते समय दस्‍ताने पहनने चाहिए। शुरूआती चरण में ही यह इलाज से ठीक हो जाता है।

यौन संचारित बीमारी है सिफलिस – yaun sancharit bimari hai syphilis – गुप्त रोग ज्ञान – gupt rog gyan

Tags: , , , , , , , , , , , , , , , , , , , , , , , , , ,

Leave a Comment

Scroll to Top