bachchon ke bedroom ka vastu

बच्चों के बैडरूम का वास्तु – घर का वास्तु – bachchon ke bedroom ka vastu – ghar ka vastu

बच्चों के बैडरूम का वास्तु वास्तु के अनुसार बच्चों का बैडरूम
बच्चे का कमरा बनवाने के लिए पश्चिम दिशा बेस्ट है। वैसे इसके अतिरिक्त अगर आप चाहें तो पश्चिम, उत्तर, उत्तर−पूर्व और दक्षिण−पूर्व में भी बच्चों का कमरा बनवा सकते हैं। बच्चों का कमरा कभी भी दक्षिण−पश्चिम दिशा में नहीं बनवाना चाहिए। हालांकि लड़कियों का कमरा उत्तर−पश्चिम दिशा में बनवाया जा सकता है, वहीं लड़कों के कमरे के लिए घर की उत्तरी या पूर्वी भाग में बेहतर रहती है। साथ ही, बच्चे के कमरे का मध्य भाग हमेशा खाली रखा जाना चाहिए।
पर्दों का रंग दीवार के रंग से थोड़ा गहरा होना चाहिए। बच्चों का पलंग अधिक ऊंचा नहीं होना चाहिए तथा वह इस तरह से रखा जाए कि बच्चों का सिरहाना पूर्व दिशा की ओर हो तथा पैर पश्चिम की ओर। बिस्तर के उत्तर दिशा की ओर टेबल एवं कुर्सी होनी चाहिए। पढ़ते समय बच्चे का मुंह पूर्व दिशा की ओर तथा पीठ पश्चिम दिशा की ओर होनी चाहिए। यदि कम्प्यूटर भी बच्चे के कमरे में रखना हो तो पलंग से दक्षिण दिशा की ओर आग्नेय कोण में कम्प्यूटर रखा जा सकता है। बच्चों के कमरे के लिए वास्तु टिप्स
बच्चों का कमरा घर के पश्‍चिम, उत्तर व पूर्व दिशा में होना चाहिए. कमरे का प्रवेश द्वार उत्तर तथा पूर्व में होना चाहिए. पलंग का सिरहाना पूर्व दिशा की तरफ़ हो. टाइम टेबल, पेंटिंग, फोटो, पिनअप बोर्ड 4 फ़ीट पर उत्तर या पश्‍चिम में लगाएं. पढ़ते समय अपना मुख पूर्व अथवा उत्तर की तरफ़ होना चाहिए. इस बात को ध्यान में रखकर टेबल-कुर्सी की व्यवस्था करें। बच्चों के कमरे में प्रयोग होने वाली लाइटिंग न तो बहुत अधिक तेज हो और न ही बहुत अधिक धीमी। बच्चे के कमरे में इस्तेमाल किए जाने वाले फर्नीचर कभी भी दीवार से सटे नहीं होने चाहिए। ऐसा होने से कमरे में ऊर्जा का प्रवाह प्रभावित होता है। कमरे की खिड़कियां हमेशा दरवाजे के सामने हों। खिड़कियों के लिए उत्तर या पूर्व दिशा बेहतर रहती है। बच्चों के कमरे के ईशान कोण को पढ़ाई के लिए इस्तेमाल करना अच्छा रहता है। लेकिन ध्यान रहे कि इस दिशा में कभी भी कोई भारी सामान न रखा जाए। यदि बच्चे के कमरे का दरवाजा ही पूर्व दिशा में हो तो पलंग दक्षिण से उत्तर की ओर होना चाहिए। सिरहाना दक्षिण में तथा पैर उत्तर में। ऐसी स्‍थिति में कम्प्यूटर टेबल के पास ही पूर्व की ओर स्टडी टेबल स्थित होनी चाहिए। नैऋत्य कोण में बच्चों की पुस्तकों की रैक तथा उनके कपड़ों वाली अलमारी होनी चाहिए। उनके किताबों की रैक नैऋत्य कोण में स्थित हो सकती है। खिड़की, एसी तथा कूलर उत्तर दिशा की ओर हो। बच्चों के कमरे में स्‍थित चित्र एवं पेंटिंग्स की स्‍थिति उनके विचारों को प्रभावित करती है इसलिए हिंसात्मक, फूहड़ एवं भड़काऊ पेंटिंग्स एवं चि‍त्र बच्चों के कमरे में कभी नहीं होना चाहिए। यदि कमरे से ही जुड़े हुए स्नानागार तथा शौचालय रखना हो तो पश्चिम अथवा वायव्य दिशा में हो सकता है। बच्चों के कमरे में पर्याप्त रोशनी आनी चाहिए। व्यवस्था ऐसी हो कि दिन में पढ़ते समय उन्हें कृत्रिम रोशनी की आवश्यकता ही न हो। जहां तक संभव हो सके, बच्चों के कमरे की उत्तर दिशा बिलकुल खाली रखना चाहिए। ”

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