शरीरं व्याधि मंदिरम् इस प्राचीन शास्त्र वाक्य के अनुसार हमारा शरीर रोगों का घर है। देखने में आ रहा है कि आजकल पुरूषों को पहले की तुलना में ज्यादा शारीरिक एवं मानसिक रोग हो रहे है। यह तय कि विज्ञान ने बहुत उन्नति की है। मेडिकल सांईस के कई अविष्कार मनुष्य के जटिल रोगों को दूर करने में सहायक हो रहे है। किंतु विज्ञान आधुनिक चिकित्सा की इतनी तरक्की के बाद भी मनुष्य के रोग घटने की बजाए, बढ़ते ही जा रहे है। आज नई-नई और असाध्य बीमारियां जन्म ले रही है प्रायः हर व्यक्ति किसी ना किसी रोग से पीडि़त है।
आधुनिक तकनीकों के कारण आजकल छोटे या बड़े भवनों की बनावट पहले के भवनों की तुलना में सुंदर व भव्य तो जरूर हो गई हैं, परंतु अब भवन आयताकार या चैकर न होकर अनियमित आकार के बनने लगे है। घरों की अनियमित आकार की बनावट के कारण ही उनमें वास्तुदोष उत्पन्न होते है। जो वहां रहने वालों को शारीरिक व मानसिक रोगी बनाने में अहम भूमिका निभाते है। वास्तु का रोगों से अभिन्न संबंध है। देखते है कि वह कौन से ऐसे महत्वपूर्ण वास्तुदोष है जिसके कारण पुरूषों में विभिन्न प्रकार के रोग पैदा होते है जो कभी-कभी उनका जीवन भी लील लेते है।
1 यदि घर का नैऋत्य कोण (SW), विशेषतौर पर पश्चिम नैऋत्य (West of the South West) किसी प्रकार से नीचा हो या वहां किसी भी प्रकार का भूमिगत पानी का टैंक, कुआ, बोरवेल, सैप्टिक टैंक इत्यादि हो तो वहां रहने वाले पुरूष सदस्य अक्सर रोगों से पीडि़त रहेगें और उन्हें मृत्यु-भय बना रहेगा।
2 अगर नैऋत्य कोण पर ऊँचाई पर हो, और दक्षिण और नैऋत्य के बीच में या नैऋत्य और पश्चिम के बीच में कुएं, गड्ढे या चैम्बर खोदे जायें या मोरी बनायी जाय तो उस घर का मालिक ऐसी बीमारी से पीडि़त हो जाएगा जिसका इलाज नहीं हो।
3 पूर्व दिशा में खाली जगह न हो और पश्चिम दिशा की ओर बरामदे को ढलाऊ बनाकर घर बना हो तो वहां रहने वालो को आंखों की बीमारी, लकवा आदि बीमारियां होती है।
4 दक्षिण दिशा की ओर घर का द्वार हो और पूर्व-उत्तर की हद तक निर्माण किया गया हो तथा पश्चिम में खाली जगह हो और प्लाट में पूर्व से पश्चिम दिशा की ओर ढलान हो, पश्चिम में भूमिगत पानी का स्रोत हो तो ऐसे घर का मालिक अल्पायु में ही भयंकर रोगों का शिकार होगा।
5 नैऋत्य (SW) या पश्चिम-नैऋत्य (West of the South West) में कम्पाऊण्ड वाल या घर का द्वार हो तो घर के लोग बदनामी, जेल, एक्सीडेंट या खुदकुशी के शिकार होंगे। हार्ट अटैक, आपरेशन, एक्सिडेन्ट, हत्या, लकवा अर्थात किसी भी प्रकार की असामयिक मृत्यु का शिकार होगें।
6 पूर्व, आग्नेय कोण, दक्षिण, पश्चिम, नैऋत्य कोण और वायव्य कोण, उत्तर और ईशान कोण से किसी भी प्रकार से नीचे हो तो घर के स्वामी की पत्नी का निधन हो जाएगा। उसे आर्थिक समस्याएं आएगी और अंत में उसकी जीवन यात्रा भी समाप्त हो जाएगी। वह लाईलाज बीमारी से पीडि़त होगा।
7 घर के पश्चिम नैऋत्य (West of the South West) मार्ग प्रहार हो तो घर के पुरूष उन्माद जैसे रोगों की शिकार होंगे। कहीं कहीं वे खुदकुशी भी कर सकते है।
8 जिस घर का पश्चिम नैऋत्य कोण बढ़ा हुआ हो उस घर के पुरूषों को लम्बी बीमारियों या उनकी दर्दनाक मौत की संभावना बनती है।
9 बड़े आकार के वह बंगले जिसके पश्चिम भाग में कम्पाऊण्ड वाल के अंदर झोपडि़यां, कमरे, चबूतरे इत्यादि के फर्श गृहगर्भ के स्तर से नीचे हो तो बीमारी, बदनामी और धनहानि होती है।
10 पूर्व, आग्नेय और दक्षिण नीचे हो नैऋत्य, पश्चिम और वायव्य कोण उत्तर और ईशान से ऊँचे हों तो घर के मालिक की मृत्यु होगी, पुत्रों का नाश होगा।
11 दक्षिण के साथ मिलकर अगर नैऋत्य में बढ़ाव होता तो मालिक रोगों, प्राण-भय और अकाल मृत्यु के भय से परेशान रहेगा। 12 किसी घर के आंगन से पानी नैऋत्य की ओर से बाहर बहकर जाता है तो उस घर में अनहोनी की संभावना रहती है। 13 ऊपर बताए गए वास्तु दोषों के साथ सभी या कुछ दोषों के होने के बाद भी कुछ खुशहाल परिवार देखने में आते है। इसका कारण यह है कि जब घर का ईशान कोण कट जाता है या पूर्व व उत्तर की सड़कों के कारण उस स्थल का ईशान कोण कट गया हो, तो ऐसे में नैऋत्य में रहने वाले की आर्थिक स्थिति अच्छी होती है। परंतु ऐसे घरों में रहने वाले केवल पैसे को महत्व देते हुए अभिमान के कारण दूसरो की इज्जत करना, प्रेमपूर्वक व्यवहार रखना भूल जाते है। निश्चित ही हत्या करने वाले, हत्या और आत्महत्या के शिकार हुए लोग, दुर्घटनाओं में मरने वालों दीर्घव्याधिग्रस्तों के घरों की बनावट में यह दोष अवश्य होता है। उपरोक्त वास्तुदोषों को दूर कर पुरूषों को होने वाले रोगों से बचा जा सकता है। ध्यान रहे वास्तुशास्त्र एक विज्ञान है। वास्तुदोष होने पर उनका निराकरण केवल वैज्ञानिक तरीके से ही करना चाहिए और उसका एकमात्र तरीका घर की बनावट में वास्तुनुकुल परिवर्तन कर वास्तुदोषों को दूर किया जाए।
पुरूषों के स्वास्थ्य पर वास्तुदोषों का प्रभाव – purooshon ke svaasthy par vaastudoshon ka prabhaav – वास्तु और स्वास्थ्य – vastu aur swasthya