uttar disha ke dosh

उत्तर दिशा के दोष – वास्तु और स्वास्थ्य – uttar disha ke dosh – vastu aur swasthya

(१)- यदि उत्तर दिशा ऊँची हो और उसमें चबूतरे बने हो तो घर में गुर्दों का रोग, पीलिया, कान के रोग, रक्त सम्बन्धी बीमारियाँ, थकावट, घुटने की बिमारियां परिवार के पुरुष व् महिला सदस्यों को लगने की पूरी पूरी संभावना रहती हैं. तथा परिवार में रहने वाले बुजुर्ग सदस्यों का स्वभाव भी चिढ़चिढ़ा बनता हैं. क्लेश का वातावरण बनने लगता हैं.

(२)- उत्तर दिशा का प्रतिनिधित्व ग्रह बुध हैं. यह कालपुरुष की कुण्डली अनुसार दिल में स्थान होता हैं, कुण्डली में चौथा भाव इसका कारक हैं, अर्थात बुध ग्रह की स्थति कुण्डली में जिस प्रकार होगी उसी प्रकार का फल परिवार में मिलेगा, अः बुध ग्रह को उत्तम बनाने से या दूध ग्रह सम्बंधित वस्तुओं का दान करते रहने से भी उत्तर दिशा का दोष नहीं लगता.

(३)- यदि उत्तर दिशा में मल मूत्र का स्थान गलती से बन गया हो तो तुरंत हटा लें, यह संतान के दुर्भाग्य का कारण होती हैं, और विवाहित संतान हेतु भी कष्टकारक सिद्ध होती हैं.

उपाय-

यदि उत्तर दिशा में बरामदे की ढाल हो,तो स्वास्थ लाभ होगा व् परिवार में आयु की वृद्धि होती हैं. अपने घर के पूजा स्थान में बुध यंत्र की स्थापना करने से भी दोष का निवारण होता हैं. बुधवार का व्रत रखें, तथा घर में छोटी कन्याओं जो कि ९ वर्ष से कम आयु की हो उनका पूजन करने से बुध ग्रह प्रसन्न होते हैं,क्योंकि मां देवी दुर्गा महारानी बुध ग्रह की इष्ट देवी हैं. कन्या दुर्गा का रूप होती हैं. घर के प्रवेश द्वार पर संगीतमयी घंटियाँ लगाएं, घर में उत्तर दिशा में हरे रंग का प्रयोग भी दोष समाप्त करता हैं.

उत्तर दिशा के दोष – uttar disha ke dosh – वास्तु और स्वास्थ्य – vastu aur swasthya

 

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