svaasthy - vastu dosh nivaran

स्वास्थ्य – वास्तु दोष निवारण – वास्तु दोष निवारण – svaasthy – vastu dosh nivaran – vastu dosh nivaran

वास्तु दोष निवारण स्वास्थ्य
सुबह उठकर हमेशा पूर्व दिशा की सारी खिड़कियां खोल दें। उगते सूरज की किरणें सेहत के लिए बहुत लाभदायक होती हैं। इससे पूरे घर के बैक्टीरिया एवं विषाणु नष्ट होते हैं और साथ ही स्वास्थ्य भी अच्छा बना रहता है। रात को सोते समय ध्यान दें कि आपका सिर कभी भी उत्तर एवं पैर दक्षिण दिशा में न हो अन्यथा सिरदर्द और अनिद्रा जैसी समस्याएं उत्पन्न कर सकता हैं। वास्तुशास्त्र की दृष्टि से दीवारों पर सीलन होना नकारात्मक स्थिति मानी जाती है। ऐसे स्थान पर लंबे समय तक रहने से श्वांस एवं त्वचा संबंधी समस्याएं हो सकती हैं। परिवार के बुजुर्ग सदस्यों को हमेशा नैर्ऋत्य कोण अर्थात दक्षिण-पश्चिम दिशा में स्थित कमरे में रहना चाहिए। यहां रहने से उनका तन-मन स्वस्थ रहता है। किचन में अपने कुकिंग रेंज अथवा गैस स्टोव को इस प्रकार व्यवस्थित करें कि खाना बनाते वक्त आपका मुख पूर्व दिशा की ओर रहे। यह दिशा स्वस्थ रहने के लिए सही मानी जाती है। अगर घर में नल टपकता है तो यह सही नहीं माना जाता। इससे घर में वास्तुदोष का निर्माण होता है। वास्तु के अनुसार, इससे धन का अपव्यय बढ़ता है और धन की बचत नहीं होती। अतः नल खराब हो तो उसकी खराबी बहुत जल्द ही दूर करे। घर में धन रखने की दिशा भी धन के आगमन को प्रभावित कर सकती है। घर में तिजोरी, अलमारी या धन रखने की दिशा का खास ध्यान रखना चाहिए। उसे दक्षिण दिशा में इस तरह रखना चाहिए कि उसका मुख उत्तर दिशा की ओर हो। घर में अखबार की पुरानी रद्दी, टूटी चारपाई, लोहे का जंग लगा हुआ सामान और कबाड़ आदि नहीं रखना चाहिए। इससे तनाव और आर्थिक कष्टों का सामना करना पड़ता है। साथ ही कबाड़ नकारात्मक ऊर्जा भी फैलाता है। घर में जल रखने का स्थान जितना महत्वपूर्ण है उतना ही महत्वपूर्ण है वह स्थान जहां से जल की निकासी होती है। अगर जल की निकासी पश्चिम अथवा दक्षिण की ओर से हो तो यह शुभ नहीं होता। जल की निकासी के लिए पूर्व या उत्तर दिशा ही शुभ माना जाता हैं जिससे आपका स्वास्थ्य अच्छा बना रहता हैं। ”

स्वास्थ्य – वास्तु दोष निवारण – svaasthy – vastu dosh nivaran – वास्तु दोष निवारण – vastu dosh nivaran

 

Tags: , , , , , , , ,

Leave a Comment

Scroll to Top