isliye jaroori hai ghar mein vastu shanti pooja?

इसलिए जरूरी है घर में वास्तु शांति पूजा? – वास्तु शास्त्र टिप्स – isliye jaroori hai ghar mein vastu shanti pooja? – vastu shastra tips

शास्त्रानुसार गृह प्रवेश में माघ ,फाल्गुन, वैशाख, ज्येष्ठ आदि मास शुभ बताए गए हैं। इन मास में गृहप्रवेश करने वालों को धन-धान्य और संतोष की प्राप्ति होती है।
वास्तु की हमारे जीवन अहम भूमिका है। यह हमारी दैनिक दिनचर्या को प्रभावित करता है। अक्सर लोग महसूस करते हैं कि घर में क्लेश रहता है या फिर हर रोज कोई न कोई नुकसान होता रहता है। किसी भी कार्य को आगे बढ़ाने में बहुत सारी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है।
घर में नकारात्मकता महसूस होती है। इन सब परिस्थितियों के पीछे वास्तुदोष हो सकते हैं। घर में मौजूद इन्हीं वास्तु दोषों को दूर करने के लिए जो पूजा की जाती है उसे वास्तु शांति पूजा कहते हैं।
मान्यता है कि वास्तु शांति पूजा से घर के अंदर की सभी नकारात्मक शक्तियां दूर हो जाती हैं घर में सुख-समृद्धि आती है। नवीन घर का प्रवेश उत्तरायण सूर्य में वास्तु पूजन करके ही करना चाहिए। उसके पहले वास्तु का जप यथाशक्ति करा लेना चाहिए। शास्त्रानुसार गृह प्रवेश में माघ ,फाल्गुन, वैशाख, ज्येष्ठ आदि मास शुभ बताए गए हैं। माघ महीने में प्रवेश करने वाले को धन का लाभ होता है।
जो व्यक्ति अपने नए घर में फाल्गुन मास में वास्तु पूजन करता है, उसे पुत्र, प्रौत्र और धन प्राप्ति होती है और जीवन में संतोष बना रहता है। चैत्र मास में नवीन घर में रहने के लिए जाने वाले को धन का अपव्यय सहना पड़ता है।
गृह प्रवेश बैशाख माह में करने वाले को धन-धान्य की कोई कमी नहीं रहती है। जो व्यक्ति पशु एवं पुत्र सुख चाहता हो, ऐसे व्यक्ति को अपने नए मकान में ज्येष्ठ माह में प्रवेश करना चाहिए। बाकी के महीने वास्तु पूजन व गृह प्रवेश में साधारण फल देने वाले होते हैं।
मलमास में न करें गृहप्रवेश
शुक्लपक्ष की प्रतिपदा से लेकर कृष्णपक्ष की दशमी तिथि तक वास्तुनुसार गृह प्रवेश वंश वृद्धिदायक माना गया है। धनु मीन के सूर्य यानी के मळमास में भी नए मकान में प्रवेश नहीं करना चाहिए। पुराने मकान को जो व्यक्ति नया बनाता है, और वापस अपने पुराने मकान में जाना चाहे, तब उस समय उपरोक्त बातों पर विचार नहीं करना चाहिए।
जिस मकान का द्वार दक्षिण दिशा में हो तो गृह प्रवेश एकम, छठ, ग्यारस आदि तिथियों में करना चाहिए। दूज, सातम् और बारस तिथि को पश्चिम दिशा के द्वार का गृह प्रवेश श्रेष्ठ बतलाया गया है।

इसलिए जरूरी है वास्तु पूजन
किसी भी भूमि पर घर की चारदीवारी बनते ही वास्तुपुरूष उस घर में उपस्थित हो जाता है और गृह वास्तु के अनुसार उसके इक्यासी पदों (हिस्सों) में उसके शरीर के भिन्ना-भिन्ना हिस्से स्थापित हो जाते हैं और इन पर पैंतालीस देवता विद्यमान रहते हैं।
वैज्ञानिक दृष्टि से किसी भी मकान या जमीन में पैंतालीस विभिन्न ऊर्जा पाई जाती हैं और उन ऊर्जाओं का सही उपयोग ही वास्तुशास्त्र है। इस प्रकार वास्तुपुरुष के जिस पद में नियमों के विरुद्ध स्थापना या निर्माण किया जाता है उस पद का अधिकारी देवता अपनी प्रकृति के अनुरूप अशुभ फल देते हैं तथा जिस पद के स्वामी देवता के अनुकूल स्थापना या निर्माण किया जाए उस देवता की प्रकृति के अनुरूप सुफल की प्राप्ति होती है।
गृह प्रवेश के पूर्व वास्तु शांति कराना शुभ होता है। इसके लिए शुभ नक्षत्र वार एवं तिथि इस प्रकार हैं…
शुभ वार- सोमवार, बुधवार, गुरुवार, व शुक्रवार
शुभ तिथि- शुक्लपक्ष की द्वितीया, तृतीया, पंचमी, सप्तमी, दशमी, एकादशी, द्वादशी एवं त्रयोदशी
शुभ नक्षत्र- अश्विनी, पुनर्वसु, पुष्य, हस्त, उत्तरफाल्गुनी, उत्तराषाढ़ा, उत्तराभाद्रपद, रोहिणी, रेवती, श्रवण, धनिष्ठा, शतभिषा, स्वाति, अनुराधा एवं मघा।
अन्य विचार- चंद्रबल, लग्न शुद्धि एवं भद्रादि का विचार कर लेना चाहिए।

गृहशांति पूजन न करवाने से इन हानि की आशंका
-यदि गृहप्रवेश के पूर्व गृहशांति पूजन नहीं किया जाए तो दुस्वप्न आते हैं। अकालमृत्यु, अमंगल संकट आदि का भय हमेशा रहता है।
-गृहनिर्माता को भयंकर ऋणग्रस्तता का सामना करना पड़ता है, एवं ऋण से छुटकारा भी जल्दी से नहीं मिलता, ऋण बढ़ता ही जाता है।
-घर का वातावरण हमेशा कलह एवं अशांतिपूर्ण रहता है। घर में रहने वाले लोगों के बीच मनमुटाव बना रहता है। वैवाहिक जीवन भी सुखमय नहीं होता।
-उस घर के लोग हमेशा किसी न किसी बीमारी से पीड़ित रहते है, तथा वह घर हमेशा बीमारियों का डेरा बन जाता है।
-गृहनिर्माता को पुत्रों से वियोग आदि संकटों का सामना करना पड़ सकता है।
-जिस गृह में वास्तु दोष आदि होते है, उस घर मे बरकत नहीं रहती अर्थात धन टिकता नहीं है। आय से अधिक खर्च होने लगता है।

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-जिस गृह में बलिदान तथा ब्राहमण भोजन आदि कभी न हुआ हो ऐसे गृह में कभी भी प्रवेश नहीं करना चाहिए। क्योंकि वह गृह आकस्मिक विपत्तियों को प्रदान करता है।

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